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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : चार दशकों से भागलपुर और गंगा के उस पार बसे दियारा क्षेत्र के लोगों का एक सपना अधूरा था—एक ऐसा पुल जो न केवल दूरी मिटाए, बल्कि विकास की नई राह खोले। अब वह सपना हकीकत बनने जा रहा है। गंगा पर बन रहा विक्रमशिला-कटरिया डबल लाइन रेल पुल और गोड्डा-पीरपैंती रेललाइन अगले तीन वर्षों में लोगों को वह सौगात देने वाला है, जिसका इंतजार पीढ़ियों ने किया।

यह रेल पुल सिर्फ एक यातायात साधन नहीं होगा, बल्कि यह क्षेत्र की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रीढ़ बनेगा। गोड्डा से लेकर दिल्ली और गुवाहाटी तक सीधा रेल संपर्क, छोटे उद्योगों के लिए अवसर, किसानों को बड़ी मंडियों में पहुंच—यह सब एक साथ बदल देगा इलाके की तस्वीर।

इस रेल परियोजना से गंगा के उस पार बसे दियारा क्षेत्र, विशेषकर कटिहार के मनिहारी ब्लॉक और भागलपुर जिले के गांवों को जोड़ने में बड़ी सफलता मिलेगी। इससे खेती-किसानी को सीधा फायदा मिलेगा—किसान अपने उत्पाद सही समय पर बेच सकेंगे और बेहतर कीमत पा सकेंगे।

इस क्षेत्र में प्रस्तावित केंद्रीय विक्रमशिला विश्वविद्यालय भी अब देशभर के छात्रों के लिए और भी सुलभ होगा। वहीं पर्यटन को भी नई उड़ान मिलेगी। प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय के भग्नावशेषों तक रेल के जरिए पहुंच आसान हो जाएगी और बटेश्वर स्थान जैसे धार्मिक स्थलों तक सावन में लाखों श्रद्धालुओं का सफर भी आसान होगा।

उद्योगों के लिए भी यह परियोजना वरदान साबित होगी। एनटीपीसी से निकलने वाली फ्लाई ऐश, झारखंड के कोयले और पत्थर व्यवसाय को एक नया ट्रांसपोर्टेशन मार्ग मिलेगा। भागलपुर, जमालपुर और साहिबगंज रेलखंड पर मालगाड़ियों का दबाव घटेगा और पूर्वोत्तर की ट्रेनों को वैकल्पिक मार्ग मिलेगा।

इसके साथ ही पर्यावरण को भी राहत मिलेगी—इस प्रोजेक्ट से अनुमानित 95 करोड़ किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। सबौर के पास प्रस्तावित वाई-लेग सेक्शन, कटरिया को मालदा मंडल से जोड़ने वाली योजना और रेलमंत्री की समीक्षा बैठक इस बात का संकेत हैं कि यह परियोजना राष्ट्रीय प्राथमिकता में शामिल है।

डीआरएम मनीष कुमार गुप्ता के अनुसार, यह पुल केवल कनेक्टिविटी नहीं, बल्कि समग्र क्षेत्रीय विकास का द्वार है। अब दियारा क्षेत्र के लोग सिर्फ पुल नहीं, बल्कि बेहतर भविष्य की ओर बढ़ते कदम देख रहे हैं।