
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर और वैशाली जिलों में बृहस्पतिवार से ब्रिज मेंटेनेंस पॉलिसी को लागू कर दिया गया है। इसके अंतर्गत इन जिलों में मौजूद करीब 200 पुलों की मरम्मत और देखरेख का कार्य किया जाएगा। पुलों की मरम्मत के बाद अगले सात सालों तक इनका नियमित रखरखाव पुल निर्माण निगम लिमिटेड के ज़िम्मे रहेगा।
विभाग की वरीय परियोजना अभियंता ई. रूबी रानी के मुताबिक इस योजना के लिए आईआईटी पटना और आईआईटी दिल्ली के साथ एक समझौता हुआ है। इन दोनों संस्थानों को इस कार्य के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है, जो मुजफ्फरपुर सहित चारों जिलों की पुलों की हालत पर निगरानी रखेंगे। इससे पहले एक व्यापक सर्वेक्षण किया गया, जिसमें पता चला कि इन जिलों के दो सौ पुल बहुत पुराने हो चुके हैं और कई की स्थिति काफी जर्जर है।
मुजफ्फरपुर जिले में अकेले करीब 80 पुल ऐसे हैं जिन्हें तत्काल मरम्मत की ज़रूरत है। इस पॉलिसी के तहत अब इन पुलों की तकनीकी जांच, मरम्मत और मजबूतीकरण का कार्य शुरू होगा। खास बात यह है कि जिन पुलों की लंबाई 250 मीटर से अधिक है, उनकी मरम्मत में आईआईटी की टीमें तकनीकी सहयोग देंगी। जबकि अन्य छोटे पुलों की मरम्मत पुल निर्माण निगम स्वयं करेगा।
राज्यभर में पटना और दिल्ली की टीमें मिलकर कुल 80 पुलों की एआई तकनीक से जांच और मूल्यांकन करेंगी। यह तकनीक मरम्मत की गुणवत्ता को मापने में भी मदद करेगी। इसके अलावा जिले में स्थित कई बड़े पुलों जैसे चंदवारा, अहियापुर का दादर पुल और मोतीझील ओवरब्रिज को भी इस योजना में शामिल किया गया है।
मरम्मत के दौरान पुलों के बेयरिंग, ज्वाइंट एक्सपेंशन, गर्डर, सुपर स्ट्रक्चर, रेलिंग और ऊपरी सतह जैसे हिस्सों को फिर से मजबूत किया जाएगा। इससे पुलों की उम्र और सुरक्षा दोनों में इजाफा होगा। परियोजना की लागत का अनुमान फिलहाल दो से तीन अरब रुपये के बीच लगाया जा रहा है, लेकिन सटीक राशि प्राक्कलन के बाद ही सामने आएगी।