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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड, जो अपनी शानदार प्रकृति के लिए जाना जाता है, अब अपनी पुरानी और बेहद खास पारंपरिक विरासत को भी नए सिरे से अपनाने जा रहा है। खबर देहरादून से है कि जल्द ही उत्तरकाशी की नैलंग घाटी में 'जाड़ुंग' शैली के प्राचीन, पर्यावरण-मित्र और भूकंपरोधी घरों का निर्माण शुरू होने वाला है। ये घर सिर्फ इमारतें नहीं होंगी, बल्कि हमारी सदियों पुरानी संस्कृति और पहाड़ों के अनुकूल जीवनशैली का प्रतीक होंगे।

क्या है जाड़ुंग शैली और क्यों है यह खास?
जाड़ुंग शैली के घरों की सबसे बड़ी पहचान उनकी मज़बूती और टिकाऊपन है। इन्हें बनाने में सिर्फ़ लकड़ी और पत्थरों का इस्तेमाल होता है, लोहा या सीमेंट बिलकुल नहीं लगता। इस ख़ास वास्तुकला को 'खटका प्रणाली' कहते हैं, जहाँ लकड़ी के शहतीरों को एक-दूसरे में इस तरह फँसाया जाता है कि घर बेहद ठोस बन जाता है। यही कारण है कि ये घर भूकंपरोधी होते हैं और भयानक सर्दी व तेज़ गर्मी दोनों में अंदर का तापमान सामान्य बनाए रखते हैं। सोचिए, कड़कड़ाती ठंड में भी घर के अंदर गरमाहट और तपती धूप में ठंडक!

विशेषज्ञों और स्थानीय कारीगरों ने मिलकर इन घरों का खाका तैयार कर लिया है। एक 20x25 फ़ीट का यह घर बनाने में करीब 10 लाख रुपये का खर्च आएगा और इसे तैयार होने में लगभग 4-5 महीने लगेंगे।

लुप्त होती परंपरा को मिलेगा नया जीवन:
साल 1962 में, भारत-चीन युद्ध के कारण उत्तरकाशी के नैलंग घाटी में बसे 'जाड़ुंग' गांव के लोगों को अपना घर छोड़कर पलायन करना पड़ा था। समय के साथ यह अनूठी वास्तुकला लुप्त होती चली गई। अब सरकार इस अनूठी विरासत को फिर से जिंदा करना चाहती है।

किसानों और पर्यटकों दोनों को फायदा:
यह पहल सिर्फ संस्कृति बचाने के लिए नहीं है, बल्कि इससे स्थानीय लोगों को नया रोजगार भी मिलेगा। जो किसान अपने छोटे और बिखरे खेतों की वजह से कोई बड़ा काम नहीं कर पा रहे थे, वे भी इस योजना से जुड़ सकेंगे। ये घर न सिर्फ स्थानीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देंगे, बल्कि पर्यावरण पर्यटन (इकोटूरिज्म) को भी बढ़ावा देंगे। देश-विदेश के पर्यटक यहाँ आकर इन ख़ास घरों में रह सकेंगे और पहाड़ी जीवनशैली का अनुभव ले सकेंगे।

मुख्यमंत्री के निर्देशों पर विशेषज्ञों और ग्रामीणों की टीम इस परियोजना पर काम कर रही है। यह उम्मीद की जा रही है कि यह अनूठी पहल उत्तराखंड को सिर्फ 'देवभूमि' ही नहीं, बल्कि एक 'कलाभूमि' के तौर पर भी विश्व में पहचान दिलाएगी, जो आधुनिकता के साथ अपनी जड़ों को भी सहेजकर रखता है।