Prabhat Vaibhav,Digital Desk : नींद हमारे शरीर की मूलभूत आवश्यकता है, लेकिन हर मौसम में यह एक जैसी नहीं होती। मौसम बदलने के साथ ही हमारे शरीर की दिनचर्या, ऊर्जा स्तर और नींद के पैटर्न में भी बदलाव आता है। खासकर सर्दियों में, लोगों को अक्सर नींद आती है, सुबह उठने में कठिनाई होती है और कंबल से बाहर निकलने का मन नहीं करता। कई लोग इसे आलस्य समझते हैं, लेकिन वास्तव में यह एक प्राकृतिक और वैज्ञानिक प्रक्रिया है। सर्दियों में, सूर्य की रोशनी कम हो जाती है, दिन छोटे और रातें लंबी हो जाती हैं, जिससे हमारे शरीर की जैविक घड़ी धीमी हो जाती है, और नींद की आवश्यकता बढ़ जाती है। तो आइए समझते हैं कि हम गर्मियों की तुलना में सर्दियों में अधिक क्यों सोते हैं और सर्दियों में नींद का चक्र कैसे काम करता है।
आपको सर्दियों में ज्यादा नींद क्यों आती है?
दरअसल, सर्दियों में दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं। सूरज देर से उगता है और जल्दी डूब जाता है, जिससे शरीर को पर्याप्त धूप नहीं मिल पाती। रोशनी की यह कमी शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन के उत्पादन को सीधे प्रभावित करती है। मेलाटोनिन वह हार्मोन है जो शरीर को सोने का संकेत देता है। जैसे-जैसे अंधेरा बढ़ता है, मेलाटोनिन का स्तर भी बढ़ता है, जिससे नींद जल्दी आने लगती है। इसके अलावा, जब शरीर को पर्याप्त धूप नहीं मिलती, तो सेरोटोनिन का स्तर कम हो जाता है। सेरोटोनिन का संबंध मनोदशा और सतर्कता से होता है। जब इसका स्तर कम होता है, तो सुस्ती, थकान और नींद आने जैसी समस्याएं अधिक होती हैं। यही कारण है कि लोग सर्दियों में बिस्तर पर अधिक समय बिताते हैं।
क्या सर्दियों में ज्यादा सोना आलस्य की निशानी है?
लोग अक्सर सोचते हैं कि सर्दियों में ज़्यादा सोना आलस्य की निशानी है, लेकिन सच्चाई इससे अलग है। दरअसल, ठंड के मौसम में शरीर की चयापचय गति धीमी हो जाती है और शरीर खुद को गर्म रखने के लिए ऊर्जा बचाना शुरू कर देता है। इस दौरान शरीर का नींद चक्र भी बदल जाता है, जिससे सोने का समय बढ़ जाता है। इसलिए, सर्दियों में ज़्यादा सोना एक स्वाभाविक ज़रूरत है, न कि आलस्य की निशानी।
मौसमी जैविक लय कैसे काम करती है?
हमारे शरीर में एक आंतरिक घड़ी होती है जिसे जैविक लय कहते हैं। यह लय दिन और रात की लंबाई और मौसम के बदलावों के अनुसार काम करती है। सर्दियों में, कम रोशनी के कारण यह लय धीमी हो जाती है। इससे नींद लंबी और गहरी हो सकती है। गर्मियों में, लंबे दिन इस लय को तेज कर देते हैं, जिससे नींद की आवश्यकता कम हो जाती है। इसके अलावा, सर्दियों में जल्दी अंधेरा होने से मस्तिष्क को आराम करने का संकेत मिलता है। इससे मेलाटोनिन का उत्पादन बढ़ जाता है और नींद की अवधि लंबी हो जाती है। ठंडे मौसम में शरीर कम सक्रिय हो जाता है, जिससे थकान और सुस्ती महसूस हो सकती है; यह प्रक्रिया शरीर की प्राकृतिक प्रतिक्रिया का हिस्सा है।




