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महिला आरक्षण विधेयक बना कानून, राष्ट्रपति ने किए हस्ताक्षर, इसे लागू होने के लिए अभी भी फंसे दो पेच

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(नोटिफिकेशन जारी)

संसद के विशेष सत्र में पारित किया गया महिला आरक्षण बिल अब कानून बन गया है। शुक्रवार को नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को हस्ताक्षर कर दिए।  राष्ट्रपति के मंजूरी देने के बाद केंद्र सरकार ने तत्काल नारी शक्ति वंदना अधिनियम का नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। इसके साथ ही लोकसभा और देश की सभी विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित हो गई हैं। 

हालांकि अभी भी महिलाओं को उनका हक मिलने में कई पेच हैं। महिला आरक्षण विधेयक नई जनगणना और परिसीमन के बाद लागू किया जाएगा। अब ये बिल विधानसभाओं में भेजा जाएगा। इसे लागू होने के लिए देश की 50% विधानसभाओं में पास होना जरूरी है। लोकसभा में फिलहाल 82 महिला सांसद हैं, नारी शक्ति वंदन कानून के तहत लोकसभा में 181 महिला सांसद रहेंगी। 

महिला आरक्षण लागू करने के लिए पहले सरकार को देश में जनगणना करानी होगी, जो साल 2021 में होनी थी। कोरोना महामारी के कारण 2021 में नहीं हो पाई जनगणना अब तक लटकी हुई है. हालांकि इसी साल जून में भारत के जनगणना रजिस्‍ट्रार जनरल ने प्रशासनिक सीमाएं 1 जनवरी 2024 से कराने की घोषणा की है। नए साल में लोकसभा चुनाव भी होने के कारण इसका पूरा होना संभव नहीं लग रहा है। 

वहीं साल 2002 में हुए कानून संशोधन के कारण देश में परिसीमन का काम साल 2026 के बाद ही शुरू हो सकता है। इससे स्पष्ट है कि महिला आरक्षण कानून कम से कम 2026 में परिसीमन से पहले तो लागू नहीं हो सकता है। ऐसे में माना जा रहा है कि साल 2029 में ही महिला आरक्षण लागू हो पाएगा। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने महिला आरक्षण को 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' के नाम से लोकसभा में पेश किया था। 

लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 454 वोट पड़े थे। दो सांसदों ने इसका विरोध किया था. लेकिन राज्यसभा में इस बिल का किसी ने विरोध नहीं किया। वोटिंग के दौरान राज्यसभा में 214 सांसद मौजूद थे और सभी ने बिल के पक्ष में वोट दिया। इस तरह दोनों सदनों में बिल सर्वसम्मति से पास हुआ। इसके बाद इस बिल को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास भेजा गया था। शुक्रवार को राष्ट्रपति ने इस बिल को मंजूरी दे दी।

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