
देहरादून।। यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता में हर धर्म के लिए एक कानून होगा। देश में अभी अलग-अलग धर्मों के लिए शादी, तलाक, संपत्ति, उत्तराधिकार जैसे मसलों को लेकर अलग-अलग कानून हैं। यूसीसी लागू होने के बाद हर धर्म के लोगों के लिए एक समान कानूनी व्यवस्था होगी। यूनिफार्म सिविल कोड लागू होने से सभी समुदाय के लोगों को एक समान अधिकार दिए जाएंगे। लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।
समान नागरिक सहिंता लागू होने से भारत की महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा। कानून के तहत सभी को व्यक्ति को समान अधिकार दिए जाएंगे। लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ा दी जाएगी, ताकि वह कम से कम ग्रेजुएट हो जाएं। ग्राम स्तर पर शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी। बगैर रजिस्ट्रेान के सरकारी सुविधा बंद हो जाएगी। पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार और अधिकार उपलब्ध होंगे। अभी पर्सनल लॉ बोर्ड में अलग-अलग कानून हैं। बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।
उत्तराधिकार में लड़के-लड़की की बराबर की हिस्सेदारी (पर्सनल लॉ में लड़के का शेयर ज्यादा होता है) होगी। नौकरीपेशा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी भी शामिल होगी। पत्नी की मौत के बाद उसके अकेले माता-पिता का सहारा महिला का पति बनेगा। मुस्लिम महिलाओं को गोद लेने का हक मिलेगा, प्रक्रिया आसान कर दी जाएगी।
हलाला और इद्दत पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी। लिव-इन रिलेशन का डिक्लेरेशन देना होगा। बच्चे के अनाथ होने पर गार्जियनशिप की प्रक्रिया आसानी की जाएगी। पति-पत्नी में झगड़े होने पर बच्चे की कस्टडी ग्रैंड पैरेंट्स (दादा-दादी या नाना-नानी) को दी जाएगी। जनसंख्या नियंत्रण पर भी बात होगी।