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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्व दिव्यांग दिवस समारोह का शुभारंभ किया। तीन दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में सीएम ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले दिव्यांगजन को सम्मानित किया तथा विशेष विद्यालयों के मेधावी छात्र-छात्राओं को भी पुरस्कृत किया। उन्होंने मंच पर पहुंचकर दिव्यांग विद्यार्थियों से बातचीत भी की।

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने बताया कि वर्ष 2017 से पहले दिव्यांगजन की पेंशन में गंभीर अनियमितताएं होती थीं। उस समय 300 रुपये की पेंशन का अधिकांश हिस्सा बाबू कट कर लेते थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिव्यांगजन को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पेंशन राशि बढ़ाकर 1000 रुपये कर दी और उसे सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में भेजना सुनिश्चित किया। आज प्रदेश में 11 लाख से अधिक दिव्यांगजन पेंशन प्राप्त कर रहे हैं।

सीएम योगी ने कहा कि भारतीय ऋषि परंपरा हमें सिखाती है कि किसी व्यक्ति की शारीरिक बनावट उसकी क्षमता तय नहीं करती। उन्होंने दिव्यांगजन की हिम्मत, प्रतिभा और सफलता को “नए भारत की शक्ति” बताते हुए कहा कि दुनिया में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां प्रोत्साहन मिलने पर दिव्यांगजन ने समाज व देश के लिए बड़ा योगदान दिया। उन्होंने सभी से बैरियर फ्री इंडिया के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की अपील की।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने 30 व्यक्तियों और संस्थाओं को राज्य स्तरीय दिव्यांग पुरस्कार प्रदान किए। 46 मेधावी दिव्यांग छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया और 500 दिव्यांगजन को आवश्यक उपकरण भी वितरित किए गए।

इससे पहले मंगलवार को राज्य कैबिनेट ने दिव्यांगजन के लिए एक बड़ा निर्णय लिया। सरकार ने सभी 18 मंडलों में नए दिव्यांग पुनर्वास केंद्र (DDRC) खोलने को मंजूरी दे दी है। वर्तमान में 38 जिलों में संचालित पुनर्वास केंद्रों में कई जगह सुविधाएं प्रभावित थीं। अब नए ढांचे और पर्याप्त संसाधनों के साथ केंद्रों को फिर से सुदृढ़ किया जा रहा है।

नए केंद्र खुलने के बाद दिव्यांगजन को सर्वे, पहचान, शिविर, सहायक उपकरण, कृत्रिम अंग फिटमेंट, प्रशिक्षण, फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी जैसी सुविधाएं एक ही स्थान पर आसानी से उपलब्ध होंगी। साथ ही यूडीआईडी कार्ड और दिव्यांग प्रमाणपत्र जैसी जरूरी सेवाएं भी बिना परेशानी के मिल सकेंगी। इन केंद्रों से दिव्यांगजन को योजनाओं का लाभ समय पर मिल सकेगा और उनके पुनर्वास की प्रक्रिया और मजबूत होगी।