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इंदिरा एकादशी का व्रत पितरों की आत्मा को दिलाता है मुक्ति, भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था इसका महत्व

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धर्म डेस्क। सनातन धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की एकादशी तिथि को व्रत रखा जाता है। अश्विन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का अलग ही महत्व है। इसे इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इंदिरा एकादशी पितरों को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार इस तिथि पर व्रत रखने से पितरों को मुक्ति मिलती है। महाभारत की एक कथा में स्वंय भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को इंदिरा एकादशी के व्रत का महत्व बताया है।

हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार इंदिरा एकादशी तिथि की शुरुआत 27 सितंबर, शुक्रवार दोपहर 01 बजकर 20 मिनट से शुरू होग और 28 सितंबर, शनिवार दोपहर 02 बजकर 49 मिनट पर इसका समापन होगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत 28 सितंबर दिन शनिवार को रखा जाएगा और 29 सितंबर रविवार को व्रत का पारण किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि इंदिरा एकादशी तिथि पर पुरे विधिविधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। इंदिरा एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 23 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 52 मिनट तक है। बताते चलें कि इंदिरा एकादशी के व्रत का महत्व स्वंय भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। शास्त्रों के अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से पितरों को मुक्ति मिलती है।

इंदिरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अ्रचना करने के बाद इन मंत्रों 'मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्तु मे॥ ॐ श्री विष्णवे नमः। क्षमा याचनाम् समर्पयामि॥' का का जाप विशेष फलदायी माना गया है। 

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