
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम में 23 अक्टूबर, यानी भाई दूज के अवसर पर मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। बुधवार को विशेष पूजा अर्चना के बाद बाबा केदार की पंचमुखी डोली को मंदिर में विराजमान किया जाएगा। इसके बाद आने वाले छह महीनों तक भोलेनाथ के दर्शन और पूजा-अर्चना ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में संपन्न होंगी।
बद्री-केदार मंदिर समिति इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए पहले से ही तैयारियों में जुट गई है। मंदिर को विशेष रूप से 12 कुन्तल फूलों से सजाया गया है।
गत शनिवार को केदारनाथ की पहाड़ी पर स्थित भैरवनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद अब मुख्य धाम के कपाट बंद करने की तैयारियां तेज कर दी गई हैं। बुधवार को बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति को उत्सव डोली में विराजित किया जाएगा।
भाई दूज के दिन सुबह साढ़े चार बजे पूजा-अर्चना, अभिषेक और आरती के साथ भोग लगाया जाएगा। इसके बाद समाधि पूजा के उपरांत भगवान केदारनाथ छह महीने के लिए समाधि में चले जाएंगे।
साढ़े आठ बजे गर्भगृह के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। सुबह 8:30 बजे पंचमुखी डोली मंदिर से बाहर निकलेगी और पौराणिक विधि-विधान के अनुसार मुख्य और पीछे के कपाट बंद कर सील किए जाएंगे। इसी दिन बाबा केदार की चल-विग्रह डोली रात्री प्रवास के लिए पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी।
24 अक्टूबर को डोली रामपुर से प्रस्थान कर फाटा और नारायकोटी होते हुए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में रात्री विश्राम करेगी। 25 अक्टूबर को डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी, जहां छह महीने तक नित्य पूजा और अर्चना संपन्न होगी।
मंदिर समिति के वरिष्ठ अधिकारी वाईएस पुष्पवाण ने बताया कि 23 अक्टूबर को सुबह 8:30 बजे केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इसके बाद आने वाले छह महीनों तक भगवान की पूजा-अर्चना ओंकारेश्वर मंदिर में होगी।