पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लेकर तनातनी जारी है। केंद्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह ने इसे देश की अर्थव्यवस्था और प्रदेश की आर्थिक हालातों के लिए अन्यायपूर्ण करार दिया है। अध्यक्ष इस संबंध में कड़ी आपत्ति जताते हुए सभी राज्य सरकारों को चेतावनी पत्र भेज रहे हैं।

आयोग ने दिल्ली में अपनी आंतरिक बैठक में इस योजना पर नाराजगी जताई है। हाल ही में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने भी इस योजना पर आपत्ति जताई थी।
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने मार्च-2022 में राज्य में सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू की थी। यह योजना अब पूरे देश में राजनीतिक बवाल मचाने वाली है।
वर्तमान में देश में 15वां वित्त आयोग कार्य कर रहा है। आयोग केंद्रीय वित्तीय भंडार से राज्यों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार योजनाओं के लिए धन आवंटित करता है। ऐसे में आयोग का पुरानी पेंशन योजना को अन्यायपूर्ण बताना राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकारों, पंजाब की आप (आम आदमी पार्टी) और झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) सरकारों के लिए झटका साबित होने वाला है।
सूत्रों का कहना है कि जल्द ही पुरानी पेंशन योजना के लिए वित्त मंत्रालय के स्तर पर गाइडलाइन तय हो सकती है. केंद्र सरकार चाहे तो राज्यों को इसे लागू करने से भी रोक सकती है। अथवा राज्यों को विभिन्न मदों में दी जाने वाली वित्तीय सहायता को रोका या समाप्त किया जा सकता है।
केंद्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। राजस्थान सहित विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को लागू करने पर ये आपत्तियां जताई गई हैं।
आपको बता दें कि राजस्थान के सीएम गहलोत पुरानी पेंशन योजना को लेकर न केवल उत्साहित हैं बल्कि उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र में इसे सभी राज्यों में शामिल करवा लिया है. उन्होंने हाल ही में कहा है कि पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के वादे ने हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने में अपना असर दिखाया है।
राजस्थान को 41 हजार करोड़ की जररूरत
सीएम गहलोत 10 दिन पहले ही पीएम मोदी को पत्र लिखकर पूरे देश में ओपीएस लागू करने की मांग कर चुके हैं. यह योजना राजस्थान में लागू हो चुकी है, लेकिन राजस्थान के राज्य वित्त आयोग को केंद्र से करीब 41,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी।
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