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पर्यावरण संरक्षण एवं सततशील विकास में सामुदायिक पहल की भूमिका अहम

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लखनऊ। सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के द्वारा चलाये जा रहे जन-जागरूकता अभियान के तीसरे दिन 'गो फॉर गोमती' के साथ गोमती नदी के स्वच्छता एवं संरक्षण से जुड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया। सीड द्वारा लखनऊ के अलावा राज्य के कई इलाकों में गत 31 मई से शुरू हुआ यह अभियान 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के आयोजन तक जारी रहेगा।

इस अभियान का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण दिवस के थीम के अनुरूप भूमि संरक्षण को बढ़ावा देने, सूखे की स्थिति से निबटने और भू-क्षरण को रोकने के मुद्दे पर जन जागरूकता फैलाना एवं सामुदायिक पहल को प्रोत्साहित करना है। साथ ही यह अभियान मिशन लाइफ के सततशील जीवनशैली के उपायों के अनुरूप संचालित किया जा रहा है ताकि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहित किया जा सके।

उत्तर प्रदेश देश जलवायु परिवर्तन के लिहाज से सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है। इस लिहाज से इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम राज्य के लिए विशेष महत्व रखती है। अभियान की शुरुआत आम नागरिकों के द्वारा भूमि एवं जल संरक्षण के लिए संकल्प एवं वृक्षारोपण, अनाथालय में बच्चों के साथ जागरूकता प्रसार, हैंड प्रिंट, क्विज, पेंटिंग आदि कई रचनात्मक गतिविधियों में सक्रिय सहभागिता के साथ हुई है।

सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के सीईओ रमापति कुमार ने अभियान के सन्दर्भ एवं उद्देश्य के बारे में,बताया कि    अभियान के थीम 'हमारी भूमि, हमारा भविष्य और हम हैं #Generation Restoration’ के अनुरूप सभी नागरिकों से इसे अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए । उन्होंने पर्यावरणीय चुनौतियों से निबटने के लिए वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुरूप सहयोगात्मक और स्थानीय समाधान-केन्द्रित दृष्टिकोण की महत्ता पर बल दिया। उन्होंने आगे बताया कि राज्य के कई क्षेत्रों में विभिन्न सार्वजनिक गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं, जिनका उद्देश्य राज्य में पर्यावरण संरक्षण, सततशीलता और समावेशी विकास में हरेक व्यक्ति के योगदान के महत्व को रेखांकित करना है।

सीड में प्रोग्राम ऑफिसर अभिषेक सिंह ने बताया कि अभियान के तहत सोशल मीडिया कैंपेन, संकल्प एवं हस्ताक्षर अभियान, नुक्कड़ नाटक, वृक्षारोपण, क्विज, गायन एवं पेंटिंग प्रतियोगिताओं आदि ढेरों रचनात्मक गतिविधियां सार्वजनिक स्थानों पर आयोजित की जा रही है, जिसे प्रमुख नागरिक संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, मीडिया, महिलाओं, युवा समूहों और आम नागरिकों द्वारा व्यापक समर्थन मिल रहा है। 

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