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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : रुद्रनाथ धाम के कपाट बंद होने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। शुक्रवार सुबह पांच बजे भगवान रुद्रनाथ के कपाट विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। इससे पहले भगवान रुद्रनाथ को मंदार के बुग्याली फूलों में समाधि दी जाएगी। इस धार्मिक उत्सव में शामिल होने के लिए हकहकूकधारी, स्थानीय ग्रामीण और श्रद्धालु रुद्रनाथ धाम पहुंच चुके हैं।

चतुर्थ केदार के रूप में प्रसिद्ध रुद्रनाथ धाम के बारे में कहा जाता है कि यहां पांडवों को भगवान शिव ने मुखारबिंद के दर्शन कराए थे। मंदिर की गुफा में भगवान रुद्रनाथ के मुखारबिंद का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है। यह भारत में एकमात्र ऐसा स्थान है जहां भगवान शिव के मुख के दर्शन होते हैं। रुद्रनाथ धाम की यात्रा हमेशा कठिन मानी जाती है, लेकिन इस साल एक लाख से अधिक श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं, जो अपने आप में रिकॉर्ड है।

कपाट बंद होने से पहले मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया है। खास बात यह है कि पुजारी और हकहकूकधारी जंगल से मंदार के सफेद पुष्प लेकर आए हैं। शीतकाल में भगवान भोलेनाथ की समाधि इन मंदार फूलों से ढककर की जाती है। जब कपाट फिर खुलेंगे, तो ये फूल सबसे बड़े प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरित किए जाएंगे। कपाट बंद होने के बाद रुद्रनाथ जी की उत्सव डोली सूर्यास्त से पहले सीधे गोपीनाथ मंदिर में पहुंचेगी, जहां शीतकाल में उनकी पूजा-अर्चना होगी।

रुद्रनाथ यात्रा काफी चुनौतीपूर्ण मानी जाती है। गोपेश्वर मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर आगे गंगोलगांव और सगर से 19 किलोमीटर पैदल चलकर श्रद्धालु रुद्रनाथ धाम पहुंचते हैं। यह मार्ग इसलिए भी कठिन है क्योंकि गंगोलगांव और सगर के आगे निर्जन क्षेत्र हैं। रुद्रनाथ मंदिर के पुजारी सुनील तिवारी ने बताया कि कपाट बंद करने की सारी तैयारियां पूरी कर दी गई हैं।

कपाट बंदी का कार्यक्रम

सुबह चार बजे मंदिर के कपाट खोलकर पूजा-अर्चना का कार्यक्रम शुरू होगा।

इसमें दैनिक पूजा, श्रृंगार पूजा, दिन की भोग पूजा और संध्याकालीन आरती संपन्न की जाएगी।

सुबह पांच बजे भगवान रुद्रनाथ को बुग्याली और मंदार पुष्पों में समाधि दी जाएगी और उत्सव डोली को मंदिर से बाहर लाकर कपाट बंद किए जाएंगे।

रुद्रनाथ जी की डोली यात्रा रुद्रनाथ धाम से मौली खर्क और सगर गांव में पूजा अर्चना के बाद सूर्यास्त से पहले गोपेश्वर गोपीनाथ मंदिर में विराजमान होगी।