धर्म डेस्क। श्राद्ध या पितृ पक्ष का समय पूर्वजों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने का समय होता है। पितृ पक्ष या श्राद्ध के 15 दिन में कोई शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। श्राद्ध का पूरा पक्ष सिर्फ पूर्वजों को समर्पित होता है। इस दौरान किए गए श्राद्ध, तर्पण से पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है और वे अमास्या को विदा होते समय अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष में बच्चे का जन्म होना बहुत ही शुभ मना जाता है। इस दौरान जन्म लेने वाले बच्चे कुल-परिवार का नाम रोशन करते हैं।
शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष या श्राद्ध में जन्मे बच्चे खुद सौभाग्यशाली के साथ ही परिवार का भाग्य भी चमकाते हैं। ये बच्चे बड़े होकर खूब तरक्की करते हैं। लोक मान्यता के अनुसार श्राद्ध पक्ष में जन्मे बच्चों पर पितरों का विशेष आशीर्वाद होता है। ये बच्चे कम उम्र में ही बहुत समझदार हो जाते हैं। इनके सौभाग्य से परिवार में सकारात्मक माहौल बनता है और परिवार के लोग तरक्की के मार्ग पर अग्रसर होते हैं।
कहा जा है कि पितृ पक्ष में जन्मे बच्चों में बेहद कम उम्र से ही जिम्मेदार होते हैं। ये बच्चे अपने परिवार के प्रति समर्पित होते हैं और हमेशा बुरी आदतों से दूर रहते हैं। ये बच्चे अपने सुबह कर्मों से सफलता व यश पाते हैं। इन बच्चों पर पूर्बजों के साथ ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है। ऐसे बच्चे समाज का नेतृत्व भी करते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष में जन्मे बच्चों की कुछ सीमाएं भी होती हैं। ऐसे बच्चों का चंद्रमा कमजोर होता है। चंद्रमा के कमजोर होने से वे अक्सर बेहद भावुक होकर गलत निर्णय ले लेते हैं। इसी तरह पितृ पक्ष में जन्में बच्चे अक्सर तनाव या दुविधा के शिकार होते रहते हैं। ऐसे बच्चों के लिए ज्योतिषीय उपायों से चंद्रमा को मजबूत किया जाता है, जिससे इन बच्चों में चंद्रमा के कमजोर होने से होने वाली परेशानियां दूर हो जाती हैं।