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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : देशभर में ऐसे कई मंदिर हैं जो आस्था के साथ-साथ गहरे रहस्य भी समेटे हुए हैं, लेकिन तिरुपति बालाजी मंदिर अपने आप में अनोखा है। यह मंदिर न केवल भक्तों की आस्था का केंद्र है, बल्कि कई रहस्यों से भी भरा हुआ है।

दक्षिण भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर वह स्थान है जहाँ भगवान विष्णु के अवतार श्री वेंकटेश्वर स्वामी की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, कलियुग में इसे भगवान विष्णु का निज निवास माना जाता है, इसलिए मंदिर में मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। तिरुपति बालाजी को प्रसाद के रूप में लड्डू चढ़ाए जाते हैं, लेकिन लड्डू के अलावा उन्हें दही और चावल खिलाने की भी परंपरा है। उन्हें चढ़ाया जाने वाला पहला प्रसाद दही और चावल ही होता है।

तिरुपति बालाजी मंदिर में बाल दान की भी परंपरा है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने कुबेर महाराज से ऋण लिया था और कलियुग के अंत तक उसे चुकाने का वचन दिया था। इस ऋण को चुकाने के लिए, भक्त व्रत पूरा करने के बाद अपने बाल दान करते हैं। बाल दान करना ऋण की एक किश्त माना जाता है।

तिरुपति बालाजी मंदिर की मूर्ति भव्य और अनोखी है। ऐसा माना जाता है कि मूर्ति के पीछे से हमेशा समुद्र की ध्वनि आती है। जिन भक्तों ने इसे सुनने की कोशिश की है, उन्होंने यह ध्वनि सुनी है। इस मूर्ति को देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु, दोनों का स्वरूप माना जाता है, यही वजह है कि बालाजी को पुरुष और स्त्री, दोनों वेश में सजाया जाता है।

तिरुपति बालाजी मंदिर में स्थापित मूर्ति के बाल असली हैं और कभी उलझते नहीं। बाल हमेशा काले और चमकदार रहते हैं। बालों के अलावा, श्री वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति को गर्मी के दिनों में पसीना भी आता है। मंदिर में हमेशा एक दीपक जलता रहता है। इसमें कभी घी या तेल नहीं डाला जाता, फिर भी यह जलता रहता है। यह दीपक सभी के लिए एक रहस्य है।