चमोली। उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा और नीति घाटी के ग्रामीणों की सालों पुरानी सीमा दर्शन यात्रा शुरू होने की आस अब पूरी होती नजर आ रही है। इस साल पहली बार प्रशासन ने 500 से अधिक लोगों को सीमा दर्शन की इजाजत दी है। बता दें कि इस वर्ष यहां घाटी में साल 1962 के युद्ध के बाद ग्रामीणों और चरवाहों के अलावा आम लोगों की आवाजाही शुरू हुई है। (India-China Border)
गौरतलब है कि नीती और माणा घाटी के ग्रामीणों की तरफ से लंबे समय से भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्र में सीमा दर्शन यात्रा शुरू करने की मांग की जा रही थी। कई बार भोटिया जनजाति के जन प्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने नीति घाटी से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने की भी मांग की थी लेकिन अति संवेदनशील सीमा क्षेत्र होने की वजह से यहां सीमा दर्शन यात्रा शुरू करने की इजाजत नहीं दी जा रही थी।(India-China Border)
अब प्रशासन की अनुमति मिलने के बाद इस वर्ष गढवाल सांसद तीरथ सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के साथ ही घाटी के बाहरी क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में सीमा क्षेत्र में पहुंचे हैं। इसके बाद सीमा क्षेत्र में तैनात सेना के जवानों द्वारा उन्हें देवताल और पार्वती कुंड में ले जाया गया है। जोशीमठ के उप-जिलाधिकारी कुमकुम जोशी ने बताया कि इस वर्ष वीआईपी समेत लगभग 5 सौ लोगों को सीमा क्षेत्र में स्थित देवताल और पार्वती कुंड तक जाने के लिये पास दिए गए हैं।(India-China Border)
बता दें कि चमोली जिले से लगा चीन सीमा क्षेत्र आमतौर पर बर्फ से ढका रहता है। यहां नीती और माणा घाटी में भी इस समय चारों तरफ बर्फ की मोटी चादर बिछी हुई है। नीती घाटी में मलारी से आगे गांव तक सड़क मार्ग है। चीन सीमा (India-China Border) क्षेत्र होने के कारण नीती घाटी में मलारी से आगे सेना और आईटीबीपी के जवानों की तैनाती रहती है।
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