नई दिल्ली। अमेरिकी कांग्रेस की अर्ध-न्यायिक निकाय यूएस कमीशन फॉर इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) ने अपनी रिपोर्ट में बीते सोमवार यानी 25 अप्रैल को भारत को धार्मिक स्वतंत्रता के संदर्भ में “विशेष चिंता वाले देश” के रूप में नामित करने की सिफारिश की थी लेकिन अब इसके विरोध में अमेरिका में ही आवाज उठने लगी है। प्रतिष्ठित भारतीय-अमेरिकियों के एक समूह ने इंटरनेशनल धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की ताजा वार्षिक रिपोर्ट पर नाखुशी जाहिर करते हुए आरोप लगाया कि इसे भारत के खिलाफ पक्षपातपूर्ण बताया है।
अमेरिकी कांग्रेस की अर्ध-न्यायिक निकाय यूएस कमीशन फॉर इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) की रिपोर्ट में राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन को धार्मिक स्वतंत्रता के दर्जे के संबंध में भारत, चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और 11 अन्य देशों को ”खास चिंता वाले देशों” की सूची में डालने की सिफारिश की गयी है। हालांकि, अमेरिकी सरकार इस सिफारिश को मानने के लिए मजबूर नहीं है।
इस रिपोर्ट के विरोध में आवाज उठाते हुए अमेरिका स्थित नीति अनुसंधान एवं जागरूकता संस्थान ‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज’ (एफआईआईडीएस) के सदस्य खंडेराव कंड ने कहा है ke”भारत पर यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण है।”
उन्होंने कहा कि भारत का नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) ऐसा कानून है जो उन शरणार्थियों को नागरिकता देता है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश में धार्मिक रूप से प्रताड़ित रहे हैं, लेकिन यह मानने के बजाय इसे लोगों की नागरिकता छीनने वाला दिखाया जा रहा है।