Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड हाई कोर्ट ने गर्मियों में जंगलों में लगने वाली आग और वन खत्तों में परंपरागत रूप से रह रहे लोगों से जुड़े मामलों पर सख्त रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) को निर्देश दिया है कि वन क्षेत्रों में रहने वाले परंपरागत निवासियों का पूरा ब्यौरा सोमवार तक कोर्ट में पेश किया जाए।
कोर्ट ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की याचिका पर सुनवाई करते हुए वन विभाग को आदेश दिया कि वन क्षेत्रों में रहने वाले परंपरागत निवासियों के कल्याण के लिए एक विशेष कमेटी गठित की जाए। यह समिति समय-समय पर उनके हितों से जुड़े निर्णय लेगी।
सुनवाई के दौरान न्याय मित्र दुष्यंत मैनाली ने कोर्ट को अवगत कराया कि 2021 में जारी कोर्ट के आदेशों का अभी तक पूर्ण अनुपालन नहीं हुआ है।
दरअसल, 2021 में गर्मियों के दौरान राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगी आग की घटनाओं पर हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था। उस समय राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने भी तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि जंगलों, वन्यजीवों और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए ठोस दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
अब कोर्ट ने एक बार फिर सरकार और वन विभाग को सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि पर्यावरण और वन संपदा की सुरक्षा राज्य की प्राथमिक जिम्मेदारी है, और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।




