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Women Reservation Bill 2023 : लोकसभा चुनावों में महिला आरक्षण लागू होने पर फंसा पेंच, महिलाओं को सदन में अपनी भागीदारी बढ़ाने के लिए करना होगा इंतजार

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करीब ढाई दशक से चला आ रहा महिला आरक्षण विधेयक संसद के विशेष सत्र में लोकसभा में पेश कर दिया गया है। इस बिल की शुरुआत 27 साल पहले हुई थी। ‌ लेकिन हर बार यह बिल सपा और आरजेडी की बेरुखी की वजह से टलता रहा है। ‌ मंगलवार को मोदी सरकार ने लोकसभा में 128वां संविधान संशोधन बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया गया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस बिल को पेश किया। इसके मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेंशन लागू किया जाएगा। इस फॉर्मूले के मुताबिक, लोकसभा की 543 सीटों में 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

लोकसभा में इस बिल पर बुधवार सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक बहस होगी। इसके बाद इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। सरकार ने इसे ऐतिहासिक बताया है। बिल पेश होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक पावन शुरुआत हो रही है। अगर सर्वसम्मति से कानून बनेगा, तो इसकी ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। लेकिन इस बिल के लागू होने पर संशय बना हुआ है। कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि 2024 में आरक्षण लागू हो ही नहीं सकता। नए विधेयक में सबसे बड़ा पेंच ये है कि यह डीलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा। ये परिसीमन इस विधेयक के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर ही होगा।

आगामी 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन असंभव ही है। यानी विधानसभा और लोकसभा के चुनाव समय पर हुए तो इस बार महिला आरक्षण लागू नहीं होगा। यह 2029 के लोकसभा चुनाव या इससे पहले के कुछ विधानसभा चुनावों से लागू हो सकता है। फिलहाल जो परिस्थितियों है वह बताती है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में यह बिल लागू नहीं होने वाला है। यानी अभी महिलाओं को लोकसभा या विधानसभा में अपने हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कुछ साल और इंतजार करना पड़ेगा। वहीं ये कानून राज्यसभा और सभी 6 विधानपरिषदों में लागू नहीं होगा। इस विधेयक में लोकसभा, विधानसभा और दिल्ली एनसीटी शामिल है। बिल में कहा गया है कि ये सिर्फ प्रत्यक्ष चुनाव में लागू होगा। जबकि विधान परिषद और राज्यसभा के प्रतिनिधियों को जनता प्रत्यक्ष रूप से नहीं चुनती। वहीं महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश होने के बाद तमाम नेताओं की प्रक्रियाएं आ रही हैं।


सोनिया गांधी समेत तमाम विपक्षी नेताओं ने महिला आरक्षण बिल पर अपनी राय दी--


कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण बिल को लेकर कहा, यह अपना (विधेयक) है। बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी नेता राबड़ी देवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, ''महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित, खेतिहर और मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हों। मत भूलो, महिलाओं की भी जाति है। अन्य वर्गों की तीसरी/चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही शिक्षित हो रही है, इसलिए इनका आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य है। आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने एक प्रेस वार्ता में कहा, आम आदमी पार्टी ने इस बिल का स्वागत किया है।  हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, विधेयक के प्रावधान 2024 में लागू नहीं होंगे. बीजेपी को महिलाओं के कल्याण में कोई दिलचस्पी नहीं। आतिशी ने कहा, यह महिला आरक्षण बिल नहीं, बल्कि महिलाओं को मूर्ख बनाने वाला बिल है।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा, महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए। इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए। समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा, मैं महिला हूं और मैं इस बिल का समर्थन करती हूं लेकिन हम चाहते हैं कि जो आखिरी पंक्ति में खड़ी हुई महिला है, उसको भी उसका हक मिलना चाहिए. हम चाहते हैं कि इसमें ओबीसी महिलाओं को भी आरक्षण मिले। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने एक्स पर लिखा, पुरुष राजनीतिक परिदृश्य के कठिन क्षेत्र को खुद पार करने के बाद मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि आखिरकार महिला आरक्षण बिल हकीकत बन जाएगा। आधी आबादी होने के बावजूद हमारा प्रतिनिधित्व बेहद कम है। यह एक बेहतरीन कदम है।

पीडीपी प्रमुख ने मीडिया से कहा, एनडीए की सरकार को 10 साल होने वाले हैं। अगर उन्होंने यह पहले ही किया होता तो 2024 के चुनाव में महिलाओं को बड़ी तादाद में भाग लेने का मौका मिलता, लेकिन देर आए दुरुस्त आए, अच्छी बात है देश की तरक्की में यह एक अहम कदम होगा। वहीं, जम्मू-कश्मीर नेशल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अबदुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी महिला आरक्षण बिल के खिलाफ नहीं है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन किया है। उन्होंने एक्स पर एक प्रेस नोट जारी किया, जिसमें कहा गया, वैसे देश की महिलाओं को लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में आरक्षण 33 प्रतिशत देने की बजाय अगर उनकी आबाधी को भी ध्यान में रखकर 50 प्रतिशत दिया जाता तो इसका हमारी पार्टी पूरे तहे दिल से स्वागत करेगी, जिसके बारे में सरकार को जरूर सोच-विचार करना चाहिए।

महिला आरक्षण बिल पर लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख चिराग पासवान ने कहा, सबसे पहले मैं देश की सभी महिलाओं को बधाई देना चाहता हूं। हम लंबे समय से संसद में महिलाओं के अधिकारों के पारित होने का इंतजार कर रहे हैं। इसमें काफी समय लगा लेकिन हमें अपने पीएम पर यह विश्वास था। मुझे खुशी है कि आज इस बिल को 'नारी शक्ति वंदना' के रूप में मजबूती से प्रस्तुत किया गया है। इस पर चर्चा होनी चाहिए। मुझे उम्मीद है कि ये बिल पूरी सहमति के साथ पास होगा ताकि महिलाओं को उनका अधिकार मिल सके। महिला आरक्षण बिल की चर्चा के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, पीएम का फैसला हमेशा राष्ट्रहित में है, हम इसका समर्थन करेंगे। इससे पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पार्टी भारत राष्ट्र समिति ने महिला आरक्षण विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने का स्वागत किया था।

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