
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने राजनीति और सामाजिक चर्चाओं को नया मोड़ दे दिया है। मंगलवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी उनके परिवार, पत्नी अमनीत पी कुमार और अन्य स्वजन से दुख साझा करने के लिए चंडीगढ़ पहुंचे। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी अपने परिवार का हौसला बढ़ाने के लिए चंडीगढ़ आने वाले हैं।
केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने भी वाई पूरन कुमार के परिवार और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात की और चंडीगढ़ में ही ठहर गए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने परिवार को शोक संदेश भेजकर संवेदनाएं व्यक्त की हैं। राहुल गांधी ने पहले भी सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर मामले का जल्द समाधान नहीं हुआ तो वह खुद चंडीगढ़ जाकर परिवार से मिलेंगे।
सोमवार तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे राहुल गांधी का चंडीगढ़ दौरा तय हो गया। कांग्रेस ने इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी साझा किया।
राहुल गांधी ने पहले ही सोशल मीडिया पर लिखा था कि आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की मौत उस बढ़ते सामाजिक विष का प्रतीक है, जो जाति के नाम पर इंसानियत को कुचल रहा है। उन्होंने कहा, “अगर एक आईपीएस अधिकारी को अपनी जाति के कारण अपमान और अत्याचार सहने पड़ते हैं, तो सोचिए कि आम दलित नागरिक किन हालात में जी रहे हैं।”
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि रायबरेली में हरिओम वाल्मीकि की हत्या, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का अपमान और अब पूरन कुमार की मौत यह दिखाती है कि वंचित वर्ग के खिलाफ अन्याय चरम सीमा पर है। नफरत और मनुवादी सोच ने समाज को विषाक्त बना दिया है। दलित, आदिवासी, पिछड़े और मुस्लिम समुदाय न्याय की उम्मीद खोते जा रहे हैं। यह सिर्फ वाई पूरन कुमार का संघर्ष नहीं, बल्कि हर उस भारतीय का संघर्ष है, जो संविधान, समानता और न्याय में विश्वास रखता है।