नई दिल्ली. कोविड-19 की विनाशकारी दूसरी लहर भले ही भारतीयों के जेहन में ताजा हो, लेकिन एक और लहर दस्तक दे रही है. विशेषज्ञों के अनुसार, अगले महीने महामारी की तीसरी लहर आने की उम्मीद है, जिसे बच्चों के लिए अधिक हानिकारक बताया जा रहा है. हालांकि, जिस तरह से केंद्र और राज्य सरकारें बाल चिकित्सा क्षमताओं और टीकाकरण को बढ़ाने के लिए तेजी से काम रही हैं, किसी को भी आश्चर्य हो सकता है कि भारत के लिए तीसरी लहर कैसी हो सकती है. अप्रैल और मई में, दूसरी लहर के दौरान भारत में रिकॉर्ड मौतों के बीच एक दिन में कोरोना के सर्वोच्च 4 लाख मामले भी देखे गए.
मेडिकल ऑक्सीजन और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण भी लोग संघर्ष कर रहे थे. हाल ही में हुए मानसून संसद सत्र के दौरान विपक्ष द्वारा इस मुद्दे को भारी रूप से उठाया गया था. इस बीच, गृह मंत्रालय (एमएचए) के तहत एक संस्थान द्वारा स्थापित एक विशेषज्ञ पैनल ने आशंका जताई है कि तीसरी लहर सितंबर और अक्टूबर के बीच कभी भी देश में आ सकती है. इसके साथ समिति ने टीकाकरण की गति में उल्लेखनीय वृद्धि का सुझाव दिया है.
कोरोना की तीसरी लहर में हर रोज आ सकते हैं छह लाख मामले
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) द्वारा गठित विशेषज्ञों की समिति ने यह भी कहा कि तीसरी लहर के दौरान बच्चों को वयस्कों के समान ही जोखिम होगा क्योंकि अगर बड़ी संख्या में बच्चे संक्रमित हो जाते हैं, तो बाल चिकित्सा सुविधाएं, डॉक्टर और वेंटिलेटर, एम्बुलेंस जैसे उपकरण इत्यादि कहीं भी नजदीक नहीं हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को पेश की गई इस रिपोर्ट में यह पाया गया कि भारत में अब तक केवल 7.6 प्रतिशत (10.4 करोड़) लोगों को ही टीके की दोनों खुराक लगाई गई है और यदि वर्तमान टीकाकरण दर में वृद्धि नहीं हुई है, तो अगली लहर में भारत में प्रतिदिन छह लाख मामले देखे जा सकते हैं.
तीसरी लहर में दूसरी लहर की तुलना में कम मामले दिखाई देंगे
कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, दूसरी लहर के दौरान कोरोना मामलों की रिकॉर्ड वृद्धि तीसरी लहर में नहीं हो सकती है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) हैदराबाद और कानपुर में मथुकुमल्ली विद्यासागर व मनिंद्र अग्रवाल की अगुवाई में शोधकर्ताओं के एक समूह द्वारा किए गए एक अध्ययन में भविष्यवाणी की गई है कि सामान्य स्थित में भारत में अगस्त में एक दिन में एक लाख से कम और सबसे खराब हालत में करीब 1,50,000 मामलों के साथ तीसरी लहर में कोविड-19 मामलों में एक और वृद्धि देखी जा सकती है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के मुकाबले आगामी तीसरी लहर के आक्रामक होने की संभावना कम है. दूसरी लहर में मामले फिर से कम होने से पहले दैनिक आधार पर बढ़कर 4 लाख हो गए थे.
तीसरी लहर में क्या बच्चे अधिक प्रभावित होंगे?
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर में बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि उनकी आबादी पर वायरस जल्दी हमला कर सकता है और भारत में बच्चों के लिए टीकाकरण अभी तक शुरू नहीं हुआ है. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दोहराया है कि इस दावे का समर्थन करने के लिए पर्याप्त डाटा नहीं है, लेकिन सरकार इस तरह की संभावना की तैयारी में भारत में पेड्रिटिक (बाल-चिकित्सा संबंधी) सुविधाओं को बढ़ाने के लिए काम कर रही है.
कोविड-उपयुक्त व्यवहार सबसे अहम
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण भारत के कई राज्यों में लॉकडाउन की आवश्यकता पड़ी और फिर मामलों में काफी कमी आने के बाद इनमें ढील दी गई. लेकिन जल्द ही, बड़ी संख्या में पर्यटन स्थलों की यात्रा करके, मास्क का इस्तेमाल नहीं करके और सामाजिक दूरी का पालन ना करने… जैसे कोविड -19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते लोगों को देखा गया. ऐसे में तीसरी लहर को रोकने के लिए यह बेहद जरूरी है कि कोविड-19 से संबंधित सभी उपर्युक्त व्यवहारों का सख्ती से पालन किया जाए.