केंद्र की मोदी सरकार से लेकर भाजपा शासित राज्य सरकारों ने देश में समान नागरिक संहिता लागू (uniform civil code) लागू करने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इसके साथ भाजपा नेता यूनियन सिविल कोर्ट के मुद्दे को जोर-शोर से भी उठा रहे हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य में नागरिक संहिता लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। अब भाजपा सरकार के इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी ने भी अपना समर्थन दिया है। आम आदमी पार्टी ने कहा है कि वह यूसीसी का सैद्धांतिक तौर पर समर्थन करती है। आम आदमी पार्टी ने कहा है कि इस कानून को, आपसी सहमति और गहन विचार-विमर्श के बाद लाना चाहिए।
आप नेता संदीप पाठक ने इसे (uniform civil code) लेकर समर्थन जताया है और साथ ही यह भी सलाह दी है कि सभी धर्मों, संप्रदायों और राजनीतिक दलों के साथ बड़े स्तर पर बैठक कर सहमति बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सैद्धांतिक रूप से हम यूनिफॉर्म सिविल कोड के समर्थन में हैं। आर्टिकल 44 भी इसका समर्थन करता है कि देश में यूसीसी लागू होना चाहिए। बता दें कि 1 दिन पहले मंगलवार को पीएम मोदी ने भोपाल की रैली में साफ शब्दों में कह दिया है कि देश को दो कानून से नहीं चलाया जा सकता है। इसे लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दबाव उन पर है, लेकिन विपक्ष भ्रम फैला रहा है।
प्रधानमंत्री के यूसीसी (uniform civil code) पर दिए गए बयान के बाद देशभर की सियासत गरमा गई है। पीएम मोदी का यूसीसी पर बयान ऐसे समय आया है, जब विपक्षी दल एकजुट होकर 2024 के आम चुनाव में बीजेपी के खिलाफ उतरने की कवायद कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस समान नागरिक संहिता पर केंद्र के विरोध में है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम से लेकर केसी वेणुगोपाल तक ने आम लोगों से जुड़े मुद्दे से ध्यान भटकाने और ध्रुवीकरण करने वाला बताया है। चिदंबरम ने कहा कि महंगाई, बेरोजगारी और बढ़ते अपराधों के मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए पीएम मोदी ने समान नागरिक संहिता की वकालत कर रहे हैं। साथ ही कहा कि बीजेपी ध्रुवीकरण के लिए यूसीसी का इस्तेमाल कर रही है। चिदंबरम ने कहा कि यूसीसी को थोपा नहीं जा सकता है और अगर थोपा जाएगा तो समाज में विभाजन और भी बढ़ेगा।
चिदंबरम के सुर में सुर मिलाते हुए कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी के लोगों को ध्यान भटकने के लिए इस तरह से मुद्दों को उठा रहे हैं। यूसीसी (uniform civil code) के मुद्दे पर आरजेडी नेता व राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने कहा कि समान नागरिक संहिता को जो लोग मुसलमानों के नजरिए से देख रहे हैं, वो इस कोड को समझ नहीं पा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी को समझना चाहिए कि वो फैसला कुछ भी कर लें, लेकिन देश उसे स्वीकार नहीं करेगा। बिहार में आरजेडी की सहयोगी जेडीयू भी यूसीसी के विरोध में खड़ी है। जेडीयू के नेता विजय चौधरी ने कहा कि पीएम मोदी के द्वारा गठित विधि आयोग ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें यूसीसी को सही नहीं माना गया है।
वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री भारत की विविधता को समस्या मानते हैं। इसीलिए इस तरह की वो बातें कर रहे हैं। यूसीसी (uniform civil code) के नाम पर देश की विविधता को छीन लेंगे। वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फिलहाल इस मामले में चुप्पी साध रखी है। उद्धव ठाकरे जानते हैं कि अगर वह खुलकर समान नागरिक संहिता का विरोध करेंगे तो उनसे हिंदू वोट छिटक सकता है। बता दें कि समान नागरिक संहिता लंबे समय से भाजपा के तीन प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक रही है, जिसमें दूसरा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करना और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण है।
विधि आयोग ने 14 जून को यूसीसी (uniform civil code) पर नए सिरे से विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की थी। राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से राय मांगी थी। बता दें कि विधि आयोग ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर 30 जून तक देश की जनता और तमाम धार्मिक संगठनों से उनके विचार मांगे हैं।