
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता और मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की सदस्यता समाप्त हो गई है। वह उत्तर प्रदेश के मऊ सदर से विधायक थे। वर्ष 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने विवादित बयान दिया था। मामला कोर्ट में गया था। जिस पर कोर्ट ने उसे दो साल की सजा सुनाई।
माना जा रहा है कि अब इस सीट पर उपचुनाव की घोषणा हो सकती है। हालाँकि, यदि अब्बास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हैं और उनकी सजा पर रोक लग जाती है, तो उनकी विधानसभा की सदस्यता भी बहाल हो सकती है।
जानकारी के अनुसार विधानसभा सचिवालय जल्द ही आदेश जारी करेगा। अब्बास अंसारी 18वीं विधानसभा में अपनी सदस्यता खोने वाले छठे विधायक हैं। इससे पहले आजम खान, अब्दुल्ला आजम, इरफान सोलंकी, विक्रम सैनी और रामदुलार गोंड अपनी सदस्यता गंवा चुके हैं।
विधायकों को दोषी ठहराने का कानून क्या है?
आइए आपको बताते हैं कि दोषी ठहराए गए विधायकों या सांसदों की सदस्यता के बारे में कानून क्या कहता है? जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 में सख्ती से कहा गया है कि दोषी नेताओं, सांसदों और विधायकों को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है। वे अपनी सदस्यता केवल तभी खोएंगे जब उन्हें न्यायालय द्वारा हर्जाना या कारावास की सजा सुनाई जाएगी। दोषसिद्धि की तिथि से उनकी सदस्यता अयोग्य मानी जाएगी। दोषी विधायक/सांसद को सजा पूरी होने की तारीख से 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माना जाएगा।
वर्ष 2022 में पहली बार विधायक बने
अब्बास अंसारी 2022 में समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन के तहत मऊ सदर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे। सुभास सपा वर्तमान में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में साझेदार है और पार्टी (सुभास सपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर राज्य में कैबिनेट मंत्री हैं। इससे पहले अब्बास अंसारी के पिता और कद्दावर नेता मुख्तार अंसारी लंबे समय तक मऊ सदर विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे थे।