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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड के पवित्र केदारघाटी में हवाई यात्रा को और अधिक सुरक्षित, कुशल और आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूसीएडीए/UCADA) ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ मिलकर केदारघाटी की डिजिटल मैपिंग करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य हेलिकॉप्टर सेवाओं में सुधार लाना और केदारनाथ जैसे दुर्गम स्थानों की तीर्थयात्रा को आसान व सुरक्षित बनाना है।

इसरो की दो प्रमुख इकाइयाँ – राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC हैदराबाद) और अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC अहमदाबाद) – इस डिजिटल मैपिंग परियोजना को अंजाम देंगी। इनके साथ मिलकर यूसीएडीए हेलीकॉप्टर उड़ानों के लिए विस्तृत और सटीक थ्री-डायमेंशनल (3D) डिजिटल मैपिंग तैयार करेगा। इस मैपिंग में उड़ानों के रास्तों में आने वाले पेड़ों, बिजली की तारों, ऊंची इमारतों या अन्य किसी भी बाधा को चिन्हित किया जाएगा, ताकि पायलटों को सुरक्षित उड़ान भरने में सहायता मिल सके।

यह परियोजना न केवल दिन की उड़ानों को अधिक सुरक्षित बनाएगी, बल्कि भविष्य में रात के समय हेलिकॉप्टर उड़ाने की संभावनाओं को भी तलाशेगी। रात में उड़ानों का सफल संचालन यात्रियों के लिए बहुत बड़ी सुविधा होगी, क्योंकि इससे दर्शन के समय में बढ़ोतरी हो सकेगी और आपातकालीन स्थितियों में बचाव अभियान भी ज़्यादा प्रभावी ढंग से चलाए जा सकेंगे।

वर्तमान में, नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MOCA) और नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) के सख्त दिशा-निर्देशों के तहत हेलि सेवाएं संचालित हो रही हैं। नई मैपिंग से इन सेवाओं को और सुदृढ़ किया जाएगा। इसके अलावा, यात्रियों के प्रबंधन के लिए भी डिजिटल समाधान ढूंढे जाएंगे, ताकि एयरपोर्ट पर भीड़ कम हो सके और सभी यात्रियों को बेहतर सुविधा मिल सके।

यूसीएडीए इस पायलट प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक लागू करने के बाद इसे बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसी अन्य प्रमुख चार धाम यात्रा के मार्गों पर भी विस्तार करने की योजना बना रहा है, जिससे संपूर्ण उत्तराखंड में हवाई संपर्क और सुरक्षित हो सके। यह कदम उत्तराखंड को पर्यटन और धार्मिक यात्रा के लिए एक विश्वस्तरीय सुरक्षित गंतव्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।