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India News Live,Digital Desk : महाराष्ट्र की राजनीति में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के एक बयान ने बड़ा बवाल मचा दिया है। पुणे जिले के मालेगांव में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने मतदाताओं से साफ शब्दों में कहा था, "आपके पास वोट हैं और मेरे पास विकास के लिए पैसा है।" उन्होंने धमकी दी थी कि अगर जनता उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को नकारती है, तो वह शहर को धन आवंटित करना भी बंद कर देंगे। शुक्रवार (21 नवंबर) को दिए गए इस बयान के बाद विपक्ष ने उन पर मतदाताओं को डराने-धमकाने और सत्ता का दुरुपयोग करने के गंभीर आरोप लगाए हैं।

"यदि आप 'नहीं' कहेंगे, तो मैं भी 'नहीं' कहूंगा।"

महाराष्ट्र में भाजपा-राकांपा-शिवसेना गठबंधन सरकार में अजित पवार वित्त मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। बारामती तालुका के मालेगांव में नगर पंचायत चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने मतदाताओं को एक सीधा प्रस्ताव दिया था। उन्होंने कहा, "अगर आप सभी 18 राकांपा उम्मीदवारों को चुनकर भेजेंगे, तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि विकास कार्यों के लिए धन की कोई कमी नहीं होगी।" लेकिन साथ ही, उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा, "अगर आप हमें अस्वीकार करते हैं, तो मैं भी धन अस्वीकार कर दूँगा। याद रखें, आपके पास वोट हैं, लेकिन मेरे पास पैसा है।"

धनराशि रोकने की धमकी पर विवाद

अजित पवार के इस बयान को लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन बताया जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि एक ज़िम्मेदार पद पर बैठे नेता द्वारा विकास कार्यों को सीधे वोटों से जोड़ना और फंड रोकने की धमकी देना आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। यहाँ 2 दिसंबर को नगर परिषद के चुनाव होने हैं, जिसमें अजित पवार की एनसीपी और बीजेपी गठबंधन में चुनाव लड़ रही हैं।

विपक्ष का पलटवार: "आपके घर में पैसा नहीं है"

अजित पवार के बयान पर विपक्षी दलों ने कड़ा प्रहार किया है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता अंबादास दानवे ने अजित पवार पर मतदाताओं को ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है। दानवे ने कहा, "सरकारी खजाने में पैसा आम लोगों द्वारा दिए गए टैक्स से आता है, यह अजित पवार के घर का पैसा नहीं है।" उन्होंने चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा, "जब उपमुख्यमंत्री स्तर का नेता खुलेआम मतदाताओं को डरा-धमका रहा है, तो चुनाव आयोग क्या कर रहा है?"