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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सबसे चर्चित सीटों में से एक हाजीपुर विधानसभा पर इस बार भी सबकी निगाहें टिकी हैं। वैशाली जिला मुख्यालय की यह सीट उत्तर बिहार का राजनीतिक प्रवेश द्वार मानी जाती है और इसका इतिहास हमेशा से बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाता रहा है।

हाजीपुर की विरासत और भाजपा का गढ़

लालू-राबड़ी शासनकाल के दौर में, जब भाजपा की बिहार विधानसभा में सीमित मौजूदगी थी, तब साल 2000 में युवा नेता नित्यानंद राय ने पहली बार हाजीपुर सीट पर कमल खिलाया था।
इसके बाद नित्यानंद ने लगातार चार बार (2000, 2005, 2005 पुनर्निर्वाचन, और 2010) इस सीट पर जीत दर्ज कर भाजपा को यहां मजबूत आधार दिया।

2014 में लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत अवधेश सिंह को सौंप दी। अवधेश ने भी नित्यानंद की राह पर चलते हुए 2014, 2015 और 2020 में लगातार तीन बार जीत हासिल की, जिससे भाजपा का किला हाजीपुर में और मजबूत हुआ।

इस बार मुकाबला फिर वही — अवधेश बनाम देव कुमार चौरसिया

महागठबंधन की ओर से इस बार भी देव कुमार चौरसिया मैदान में हैं, जिन्हें 2020 के चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा था। अब एक बार फिर वे भाजपा प्रत्याशी अवधेश सिंह को चुनौती दे रहे हैं।
दोनों के बीच मुकाबला दिलचस्प और कड़ा माना जा रहा है।

हाजीपुर की जनता अब यह देखने को बेताब है कि क्या अवधेश सिंह अपने राजनीतिक गुरु नित्यानंद राय के चार बार लगातार जीत के रिकॉर्ड की बराबरी कर पाएंगे या नहीं।

अगर जीते अवधेश, तो इतिहास दोहराएंगे

अगर अवधेश सिंह इस बार भी चुनाव जीत जाते हैं, तो वे हाजीपुर के इतिहास में लगातार चार बार जीतने वाले दूसरे विधायक बन जाएंगे।
अब तक यह उपलब्धि केवल नित्यानंद राय (2000–2010) के नाम दर्ज है।

पिछले 25 वर्षों में हाजीपुर विधानसभा के विजेता

वर्षविजेतापार्टी
2000नित्यानंद रायभाजपा
2005 (पहला)नित्यानंद रायभाजपा
2005 (दूसरा)नित्यानंद रायभाजपा
2010नित्यानंद रायभाजपा
2014अवधेश सिंहभाजपा
2015अवधेश सिंहभाजपा
2020अवधेश सिंहभाजपा

जनता की नजरें गुरु-शिष्य की विरासत पर

हाजीपुर के लोग आज भी नित्यानंद राय को अपना सच्चा विधायक मानते हैं, जबकि अवधेश सिंह को उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी।
अब यह चुनाव तय करेगा कि अवधेश अपनी गुरु की विरासत को बचा पाते हैं या विपक्ष यहां नया इतिहास लिखता है।