
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई पर हमले की कथित कोशिश को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। वकील राकेश किशोर द्वारा किए गए इस कृत्य के संदर्भ में ओवैसी ने दिल्ली पुलिस और सरकार पर धार्मिक पहचान के आधार पर दोहरा मापदंड अपनाने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने सीधे सवाल किया कि अगर हमले का प्रयास करने वाले का नाम राकेश किशोर की बजाय असद होता तो कार्रवाई का स्वरूप कितना अलग होता। ओवैसी ने कहा कि भाजपा और सरकार की नीतियों ने ऐसे लोगों के दिलों में जहर भर दिया है और इनकी सिर्फ निंदा करने के बजाय संज्ञान लेकर सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए थी।
ओवैसी का गुस्सा: ' काश उनका नाम राकेश किशोर नहीं , बल्कि असद होता... '
एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वकील राकेश किशोर के मामले में केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं, जिन्होंने कथित तौर पर मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। एक सभा को संबोधित करते हुए, ओवैसी ने धार्मिक पहचान के आधार पर पक्षपात का आरोप लगाया, यह बयान उन्होंने अपने 'एक्स' हैंडल पर भी साझा किया।
ओवैसी ने सीधा और तीखा सवाल पूछा, "अगर (जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील का) नाम राकेश किशोर न होकर असद होता, तो पुलिस क्या करती?" उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता, तो भारतीय जनता पार्टी के सदस्य तुरंत उन पर चारों तरफ से हमला बोल देते और "उसे गिरफ्तार करो!", "वह पड़ोसी देश से है" और "वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से है" जैसे आरोप लगाते।
धार्मिक भेदभाव और कार्यों में विसंगतियां
एआईएमआईएम प्रमुख ने वकील राकेश किशोर पर कथित हमले के मामले में दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार पर दोहरा मापदंड अपनाने का सीधा आरोप लगाया है। उन्होंने इस घटना की तुलना उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में हुई एक हालिया घटना से भी की।
ओवैसी ने कहा, ''जब मुस्लिम समुदाय ने 'आई लव मुहम्मद' बैनर हटाए जाने का विरोध किया तो यूपी पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की, जबकि राकेश किशोर के मामले में ऐसा नहीं हुआ।'' राकेश किशोर ने सीजेआई बीआर गवई के खिलाफ अपनी शिकायतों में बरेली का जिक्र करते हुए कहा कि सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट को योगी आदित्यनाथ की "बुलडोजर न्याय" नीति पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस कृत्य के लिए राजनीतिक विचारधारा जिम्मेदार थी।
असदुद्दीन ओवैसी ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा, "मोदी जी, मुझे बताइए, क्या इसके लिए आपकी सरकार और आपकी नीतियां ज़िम्मेदार नहीं हैं? ये वही लोग हैं जिन्हें आपकी सरकार ने सशक्त बनाया है।" उन्होंने आगे कहा कि भाजपा और केंद्र सरकार ने ऐसे लोगों के दिलों में ज़हर भर दिया है।
ओवैसी ने ज़ोर देकर कहा कि भले ही मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने ख़ुद मामला दर्ज न करने का फ़ैसला किया हो, लेकिन प्रधानमंत्री को इतनी गंभीर घटना का स्वतः संज्ञान लेकर क़ानूनी कार्रवाई करनी चाहिए थी। सिर्फ़ इस घटना की निंदा करने वाला बयान जारी करना काफ़ी नहीं होना चाहिए, क्योंकि मुख्य न्यायाधीश देश की न्यायिक व्यवस्था में सर्वोच्च पद पर हैं।