
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश सरकार ने गंगा नदी और अन्य नदियों की पवित्रता और संरक्षण को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। अब गंगा नदी के किनारे यानी तट से 200 मीटर के अंदर किसी भी प्रकार का नया निर्माण पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। केवल मठ, मंदिर और आश्रम जैसी धार्मिक संरचनाएं ही सशर्त अनुमति के तहत बनाई जा सकेंगी।
सरकार की नई भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 के अनुसार, इस दायरे में स्थित पुराने भवनों की केवल मरम्मत, जीर्णोद्धार या संरक्षण कार्य ही किया जा सकेगा। अगर कोई भवन जर्जर हो चुका है, तो उसे गिराकर नया निर्माण नहीं किया जा सकेगा।
धार्मिक संरचनाओं के मामले में भी नियम सख्त हैं। तीर्थ स्थलों पर अगर कोई मठ, मंदिर या आश्रम बनाना है, तो वह कुल क्षेत्रफल के सिर्फ 35% हिस्से में ही बनेगा और इसके लिए अधिकतम 1.5 एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) की अनुमति दी जाएगी। साथ ही निर्माण से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि वहां से गंगा में कोई भी प्रदूषण नहीं पहुंचेगा।
यदि सीवरेज निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है, तो वहां धर्मशाला या कोई निवास स्थान बनाने की भी इजाजत नहीं मिलेगी। जल निकासी के लिए भी सीधा प्रवाह गंगा नदी में नहीं किया जा सकेगा, बल्कि वैकल्पिक नालों के माध्यम से पानी ले जाने की योजना बनानी होगी।
गंगा के अलावा राज्य की अन्य नदियों के किनारे भी इस उपविधि का पालन अनिवार्य होगा। निर्माण की अनुमति तभी दी जाएगी जब अदालतों या एनजीटी के नियमों का पालन हो और क्षेत्र की पहचान सिंचाई व राजस्व विभाग के अभिलेखों के अनुसार हो।
इस सख्त नीति का उद्देश्य नदियों को प्रदूषण और अतिक्रमण से मुक्त रखना है ताकि जल स्रोतों की पवित्रता और जीवनदायिनी भूमिका को सुरक्षित रखा जा सके।