Prabhat Vaibhav,Digital Desk : मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार द्वारा पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) की सीनेट भंग करने के फैसले की तीखी आलोचना की है। उन्होंने इसे पंजाब के अधिकारों पर हमला बताते हुए कहा कि राज्य सरकार इस फैसले को कभी बर्दाश्त नहीं करेगी और कानूनी लड़ाई लड़ेगी।
“केंद्र का फैसला असंवैधानिक, पंजाब के अधिकारों पर चोट” — मान
मुख्यमंत्री ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि केंद्र सरकार का यह कदम भाजपा के पंजाब विरोधी रवैये को उजागर करता है। उन्होंने कहा, “लोकसभा या विधानसभा द्वारा बनाए गए अधिनियम को कोई अधिसूचना रद्द नहीं कर सकती, लेकिन केंद्र ने पंजाब विश्वविद्यालय के मामले में यही दादागिरी दिखाई है।”
मान ने स्पष्ट किया कि पंजाब सरकार इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों में याचिका दायर करेगी। इसके लिए कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श लिया जा रहा है।
बीबीएमबी विवाद की याद दिलाई, कहा — ‘फिर दोहराई वही गलती’
भगवंत मान ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब केंद्र ने पंजाब के अधिकारों को नजरअंदाज किया हो। उन्होंने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि पहले भी केंद्र ने वहां से पंजाब का प्रतिनिधित्व खत्म करने की कोशिश की थी, और अब पीयू की सीनेट पर भी वैसा ही रवैया अपनाया जा रहा है।
“केंद्र की दादागिरी बर्दाश्त नहीं”
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार ने हाल ही में पंजाब विश्वविद्यालय में गर्ल्स हॉस्टल निर्माण के लिए विशेष अनुदान दिया था, जिससे स्पष्ट है कि राज्य विश्वविद्यालय के विकास को लेकर गंभीर है। बावजूद इसके, केंद्र का यह फैसला पंजाब के योगदान और अधिकारों की अनदेखी है।
मान ने कहा कि केंद्र को समझना चाहिए कि पंजाब केवल एक राज्य नहीं, बल्कि देश के संघीय ढांचे की रीढ़ है। उन्होंने चेतावनी दी कि पंजाब सरकार किसी भी सूरत में यह फैसला स्वीकार नहीं करेगी।
मुख्यमंत्री का संदेश — “पंजाब के हितों की रक्षा करेंगे, चाहे लड़ाई अदालत तक क्यों न ले जानी पड़े”
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के हर ऐसे कदम का विरोध किया जाएगा जो पंजाब की स्वायत्तता को कमजोर करता है। उन्होंने कहा, “पंजाब के अधिकारों की रक्षा के लिए हम हर मंच पर लड़ाई लड़ेंगे। यह सिर्फ एक विश्वविद्यालय का मुद्दा नहीं, बल्कि पंजाब की अस्मिता का सवाल है।”




