Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पंजाब सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना (MMSY) के तहत जालंधर जिले में पंजीकरण प्रक्रिया 8 जनवरी 2026 से शुरू होने जा रही है। यह जानकारी डिप्टी कमिश्नर डॉ. हिमांशु अग्रवाल ने बुधवार को दी। इस योजना के तहत पात्र परिवारों को पंजाब और चंडीगढ़ के सरकारी एवं सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में प्रति वर्ष 10 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज मिलेगा।
योजना के क्रियान्वयन को लेकर प्रशासन ने दिए निर्देश
जिला प्रशासनिक परिसर में आयोजित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए डॉ. अग्रवाल ने योजना की मैपिंग, पंजीकरण और अन्य प्रक्रियाओं को समयबद्ध और सुचारू ढंग से पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार का लक्ष्य है कि अधिक से अधिक पात्र लोग इस स्वास्थ्य योजना का लाभ उठा सकें।
कौन ले सकता है योजना का लाभ
मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक का पंजाब का स्थायी निवासी होना अनिवार्य है। हेल्थ कार्ड गांवों और शहरी क्षेत्रों के नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर बनवाए जा सकेंगे।
पंजीकरण के लिए आधार कार्ड और वोटर कार्ड जरूरी होंगे। वहीं, 18 वर्ष से कम उम्र के लाभार्थियों के लिए माता-पिता का वोटर कार्ड मान्य होगा।
यह योजना न केवल आम नागरिकों के लिए है, बल्कि पंजाब सरकार के नियमित कर्मचारी, पेंशनभोगी और आउटसोर्सिंग या अनुबंध पर कार्यरत कर्मचारी भी इसके दायरे में शामिल हैं।
24.7 लाख आबादी के लिए 649 सीएससी केंद्र
जालंधर जिले की लगभग 24.7 लाख की आबादी को कवर करने के लिए 649 कॉमन सर्विस सेंटर चिन्हित किए गए हैं। डिप्टी कमिश्नर ने सभी एसडीएम को निर्देश दिया कि वे पंजीकरण प्रक्रिया की लगातार निगरानी करें, ताकि किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो।
15 सरकारी और 47 निजी अस्पताल सूचीबद्ध
अब तक जिले में 15 सरकारी और 47 निजी अस्पतालों को मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना के तहत सूचीबद्ध किया जा चुका है। इनमें प्रमुख रूप से दोआबा अस्पताल, कमल मल्टीस्पेशलिटी, जोशी अस्पताल एंड ट्रॉमा सेंटर, सीएमसी अस्पताल, केयर बेस्ट सुपर स्पेशलिटी, महाजन आई अस्पताल, अरमान अस्पताल, रंजीत अस्पताल, ग्लोबल अस्पताल, डीएमसी अस्पताल एंड ट्रॉमा सेंटर, पीएमजी चिल्ड्रन अस्पताल, लाइफलाइन मेडिकल इंस्टीट्यूट सहित कई अन्य अस्पताल शामिल हैं।
प्रशासन का कहना है कि आने वाले समय में जरूरत के अनुसार और अस्पतालों को भी इस योजना से जोड़ा जा सकता है, ताकि मरीजों को इलाज के लिए दूर न जाना पड़े।




