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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : 2027 का विधानसभा चुनाव अभी दूर जरूर है, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चुनावी रण में अभी से उतरकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। उम्र और पिछले चुनावी झटकों को दरकिनार करते हुए हरदा की सक्रियता ने कांग्रेस के भीतर और बाहर दोनों ही जगह हलचल मचा दी है।

पिछले दिनों अपने बयान में उन्होंने कहा था कि अब वह चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राजनीति की डगर पर परिस्थितियां और समीकरण ही अंतिम फैसला करते हैं। फिलहाल, उत्तराखंड कांग्रेस के इस अनुभवी नेता ने रामनगर से पहाड़ों की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। उनकी स्थगित "न्याय यात्रा" अब फिर से शुरू हो गई है, जो आने वाले दिनों में सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करेगी।

पहले पड़ाव के तौर पर रामनगर में जोरदार शुरुआत के बाद हरदा भतरौजखान, ताड़ीखेत, अल्मोड़ा, जागेश्वर, दन्या, पिथौरागढ़, कनालीछीना, डीडीहाट और धारचूला जैसे क्षेत्रों तक पहुंचेंगे। इस यात्रा का अंतिम पड़ाव सीमांत क्षेत्र गुंजी होगा। वहां वे सीमांत गांवों बांगला, कुटी और नाथी के ग्रामीणों से भी मिलेंगे।

हरदा अपनी यात्रा के दौरान मंदिरों में जाकर न्याय की याचना करेंगे। उनके प्रमुख पड़ावों में जागेश्वर धाम, आदि कैलाश, ओम पर्वत और मां उल्का मंदिर शामिल हैं। हरदा का आरोप है कि भाजपा ने झूठ के दम पर सत्ता हासिल की है और इसी झूठ का पर्दाफाश करने के लिए वह न्याय यात्रा पर निकले हैं।

इस यात्रा के दौरान युवा कार्यकर्ताओं के साथ-साथ पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों से भी उनकी चर्चा होगी। इसके अलावा पूर्व सैनिकों के सम्मान समारोहों में भी हिस्सा लेंगे। साफ है कि हरदा की सक्रियता 2027 के लिए कांग्रेस की रणनीतिक तैयारियों को नया रूप दे रही है।