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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : भारतीय परंपरा में घर के हर कोने का वास्तु के हिसाब से होना बहुत मायने रखता है, और जब बात घर के मंदिर की हो, तो यह और भी जरूरी हो जाता है। घर का मंदिर न केवल पूजा का स्थान होता है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र भी माना जाता है। अगर मंदिर सही दिशा में और उचित नियमों के अनुसार बनाया जाए, तो इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-शांति का संचार होता है।

मंदिर रखने के ये नियम न भूलें
घर के मंदिर को कभी भी सीधे फर्श पर नहीं रखना चाहिए। इसे हमेशा थोड़ी ऊँचाई पर रखें, जैसे कि लकड़ी की चौकी या छोटा आसन। मंदिर में पर्याप्त रोशनी और ताजगी बनी रहे, इसका विशेष ध्यान रखें। मंदिर एक शांत और स्वच्छ स्थान पर होना चाहिए, जहां पूजा में कोई विघ्न न आए।

एक और जरूरी बात ये है कि मंदिर के नीचे या आसपास जूते-चप्पल न रखें। यह एक गंभीर वास्तु दोष बन सकता है और इससे घर की सकारात्मक ऊर्जा प्रभावित हो सकती है।

मूर्तियों को लेकर खास नियम
वास्तु शास्त्र के अनुसार, शिवजी और शनिदेव की मूर्तियों को एक साथ मंदिर में नहीं रखना चाहिए। इसके अलावा, मां काली, राहु, और केतु की मूर्तियाँ घर के मंदिर में नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि ये ऊर्जा को असंतुलित कर सकती हैं। अगर आपके मंदिर में शिवलिंग है, तो उसके पास बहुत अधिक मूर्तियाँ न रखें और एक से अधिक शिवलिंग भी मंदिर में नहीं होने चाहिए।

मंदिर की दिशा कैसी हो?
घर में मंदिर के लिए ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा को सबसे शुभ माना गया है। साथ ही, मंदिर का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। ये दिशा परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनाए रखने में मदद करती है। ध्यान रखें कि मंदिर के पास न तो बाथरूम हो और न ही कोई बेडरूम।

इन वस्तुओं को मंदिर में रखना है शुभ
अगर आप मंदिर में तुलसी का पौधा, गंगाजल और तांबे का कलश रखते हैं, तो इससे सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। ये वस्तुएं न केवल धार्मिक रूप से पवित्र मानी जाती हैं, बल्कि मानसिक शांति और घर में संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होती हैं।

घर में मंदिर बनाते समय इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें और अपने जीवन में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करें।