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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरण के प्रति यहां के लोगों के गहरे लगाव से तो हर कोई वाकिफ है। अब इसी क्रम में, एक नई और बेहद खूबसूरत पहल सामने आ रही है - उत्तराखंड का पहला 'ईको-गांव' यानी चोरगलिया! नैनीताल जिले के रामनगर वन प्रभाग में इस अनूठी परियोजना को साकार करने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। यह सिर्फ एक गांव नहीं होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, ग्रामीण विकास और सतत पर्यटन का एक शानदार मॉडल बनेगा।

क्या होगा इस 'ईको-गांव' में खास?

यह प्रोजेक्ट उत्तराखंड के जंगलों, जैव विविधता और स्थानीय संस्कृति को एक नई पहचान देगा। 'जंगल से जुड़कर जीना सीखो' की थीम पर यह इको-गांव बसाया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर, प्रकृति प्रेमियों को एक शांत और पर्यावरण-अनुकूल अनुभव देना है। यहां आने वाले लोग प्रकृति के करीब रह पाएंगे, स्थानीय ग्रामीण जीवनशैली को समझ पाएंगे और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को भी सीख पाएंगे।

यहां पर आने वाले पर्यटकों को खास 'कॉटेज' में रहने का अनुभव मिलेगा, जो पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों से बने होंगे। गांव में कोई बड़ा या प्रदूषण फैलाने वाला उद्योग नहीं होगा। जोर प्राकृतिक उत्पादों पर होगा – जैविक खेती से लेकर हस्तशिल्प तक। स्थानीय युवाओं को यहां रोजगार मिलेगा और वे इको-टूरिज्म गाइड के रूप तौर पर भी काम कर सकेंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी।

इस 'ईको-गांव' परियोजना से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दूर-दूर तक फैलेगा। स्थानीय पौधों और पेड़ों का संरक्षण किया जाएगा, जैव विविधता को बढ़ावा दिया जाएगा और कचरा प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह गांव दूसरों के लिए भी एक उदाहरण बनेगा कि कैसे हम विकास के साथ-साथ प्रकृति का सम्मान और संरक्षण कर सकते हैं।

डीएफओ चंदन सिंह ने बताया कि सरकार से स्वीकृति मिलते ही इस पर काम शुरू हो जाएगा। यह पहल निश्चित रूप से उत्तराखंड के पर्यटन को एक नई दिशा देगी और इसे पर्यावरण-हितैषी पर्यटन का एक बेहतरीन केंद्र बनाएगी। उम्मीद है कि जल्द ही 'ईको-गांव' चोरगलिया पूरी दुनिया के सामने उत्तराखंड की पर्यावरण प्रेम की नई तस्वीर पेश करेगा।