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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक स्थिति काफी जटिल हो गई है और आशंका है कि ईरान और इजरायल के बीच शुरू हुआ संघर्ष पूरे पश्चिम एशिया को अपनी चपेट में ले सकता है। अमेरिकी हमले के बाद अब सबकी निगाहें ईरान पर टिकी हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने बयान में साफ कहा था कि अगर ईरान अमेरिका पर हमले का जवाब नहीं देता है तो शांति स्थापित हो जाएगी और अगर ईरान जवाब देता है तो तबाही मच जाएगी।

ऐसे में आइए जानते हैं कि ईरान-इजराइल संघर्ष किस तरह बदल सकता है और इसमें ईरान के लिए क्या विकल्प हो सकते हैं-

पहला परिदृश्य - अमेरिकी हमले के बाद ईरान पश्चिम एशिया में अमेरिकी नागरिकों और अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला कर सकता है। ऐसे में पश्चिम एशिया में अमेरिकी सैन्य ठिकानों और अमेरिकी नागरिकों को अलर्ट पर रखा गया है। अमेरिकी शहरों में भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और महत्वपूर्ण ठिकानों पर निगरानी बढ़ा दी गई है।

दूसरा परिदृश्य- इजरायल पर हमले भी तेज हो सकते हैं। अमेरिकी हमले के कुछ समय बाद ही ईरान ने इजरायल पर मिसाइल हमले शुरू कर दिए हैं। जिसका इजरायल ने भी जवाब दिया है। लड़ाई तेज होने के डर से इजरायल ने अगले आदेश तक सभी शैक्षणिक गतिविधियों, लोगों के एकत्र होने आदि पर रोक लगा दी है। केवल जरूरी चीजों को ही काम करने की इजाजत दी गई है। डर है कि इजरायल ईरान की सैन्य शक्ति की रीढ़ इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स पर भी हमला कर सकता है।

तीसरा परिदृश्य - ईरान पर हमले के जवाब में उसके कथित छद्म संगठन हिजबुल्लाह और हमास भी इजरायल पर हमला कर सकते हैं। हिजबुल्लाह ने पहले ही ईरान के समर्थन में इजरायल पर हमले की घोषणा कर दी है। हालांकि इजरायल के हमले के बाद उनकी ताकत में काफी कमी आई है, लेकिन वे इजरायल की मुश्किलें थोड़ी बढ़ा सकते हैं।

चौथा परिदृश्य - पश्चिम एशिया में संघर्ष बढ़ने के बाद तेल की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। दरअसल, ईरान ने धमकी दी है कि अगर अमेरिका लड़ाई में शामिल होता है तो वह होर्मुज जलडमरूमध्य में व्यापारिक जहाजों की आवाजाही बाधित कर देगा। इसके अलावा, ईरान द्वारा समर्थित हूथी विद्रोही लाल सागर में व्यापारिक जहाजों पर हमला भी कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा।

पांचवी स्थिति - रूस और चीन ने हाल ही में ईरान और इजरायल से एक दूसरे पर हमला बंद करने की अपील की, लेकिन साथ ही कूटनीतिक तौर पर ईरान का समर्थन भी किया। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अमेरिका को भी चेतावनी दी और ईरान पर हमला न करने को कहा। चीन ने अमेरिका पर संघर्ष को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया। ऐसे में अब सबकी निगाहें रूस और चीन के अगले कदमों पर टिकी हैं।