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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : भारतीय रेलवे की आधारभूत संरचना को मजबूती देने के लिए मालदा रेल मंडल ने भागलपुर-किऊल रेलखंड पर पुराने पुल-पुलियों के कायाकल्प का बीड़ा उठाया है। अंग्रेजों के जमाने के ये पुल-पुलिये अब अपनी निर्धारित उम्र पार कर चुके हैं और इनकी मरम्मत बेहद आवश्यक हो गई है।

भागलपुर से किऊल तक की करीब 98 किलोमीटर की दूरी में कुल 68 पुल-पुलिये हैं, जहां रोजाना लगभग 90 रेलगाड़ियां गुजरती हैं। इन ट्रेनों में मालगाड़ी, पैसेंजर, एक्सप्रेस, सुपरफास्ट के साथ-साथ तेजस राजधानी एक्सप्रेस जैसी प्रमुख ट्रेनें भी शामिल हैं। आने वाले समय में वंदे भारत और अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेनों की शुरुआत भी इसी मार्ग से की जाएगी।

रेल परिचालन सुगम बनाने के लिए रेलवे प्रशासन पुलों और पुलियों का पुनर्निर्माण और जैकेटिंग तकनीक से मजबूती प्रदान कर रहा है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक पुल-पुलियों के आधुनिकीकरण के बाद ट्रेनों की गति बढ़ेगी और काशन की समस्या खत्म हो जाएगी।

रेलवे के अनुसार भागलपुर-जमालपुर-किऊल और मुंगेर के बीच करीब 30 संपर्क फाटक हैं, जो ट्रेनों की गति में बाधा उत्पन्न करते हैं। तीसरी लाइन के निर्माण के साथ ही इन समपार फाटकों को बंद कर दिया जाएगा। इनकी जगह रोड ओवर ब्रिज (ROB) और अंडरपास बनाए जाएंगे। सफियासराय और दशरथपुर इलाके में जल्द ही इस दिशा में काम शुरू होगा।

रेल ट्रैक पर पशुओं की आवाजाही रोकने के लिए भी विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। रेलवे ट्रैक के दोनों ओर तीन से चार फीट ऊंची लोहे की एंगल से बेरिकेडिंग की जा रही है, जिससे दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा।