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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड में राजकीय मेडिकल कॉलेजों से MBBS पास करने वाले और वर्षों से ड्यूटी से गायब चल रहे 234 बॉन्डेड डॉक्टरों पर अब सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने स्पष्ट किया है कि इन डॉक्टरों को बर्खास्त किया जाएगा और उनसे बॉन्ड की शर्तों के अनुसार धनराशि की वसूली भी की जाएगी।

डॉ. रावत ने जानकारी दी कि इन डॉक्टरों ने सरकारी खर्च पर कम शुल्क में पढ़ाई की और बॉन्ड साइन किया था कि वे पांच साल तक राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में सेवा देंगे। लेकिन इनमें से अधिकांश डॉक्टर बिना किसी सूचना के अपनी पोस्टिंग से गायब हो गए, जिससे न केवल अनुशासन का उल्लंघन हुआ, बल्कि जनसेवा को भी भारी नुकसान पहुंचा।

इन डॉक्टरों की सूची नेशनल मेडिकल काउंसिल को भेजी जा रही है ताकि भविष्य में इन्हें मेडिकल रजिस्ट्रेशन से भी वंचित किया जा सके। राज्य सरकार ने इसे गंभीर मामला मानते हुए चिकित्सा शिक्षा निदेशक को निर्देश दिया है कि सभी डॉक्टरों से बॉन्ड के अनुसार रकम वसूलें और स्वास्थ्य महानिदेशक को बर्खास्तगी की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने को कहा है।

विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक 95 डॉक्टर हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज से, 83 श्रीनगर से और 56 दून मेडिकल कॉलेज से हैं। जनपदवार आंकड़े देखें तो चमोली से 46, नैनीताल से 41, टिहरी से 29, पौड़ी से 26, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी से 25-25 डॉक्टर शामिल हैं।

सरकार ने संबंधित जनपदों के सीएमओ और अस्पताल प्रभारी से जवाब भी मांगा है कि इन डॉक्टरों के खिलाफ अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

मंत्री डॉ. रावत ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग जनता से सीधे जुड़ा है और यहां लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने दो टूक कहा कि जो डॉक्टर अपने कर्तव्यों को गंभीरता से नहीं लेते, उनके लिए अब सरकारी सेवा में कोई स्थान नहीं है।