
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : राज्य सरकार के राजस्व महाअभियान के तहत इस समय पूरे प्रदेश में जमाबंदी पंजी को सही करने का काम तेजी से चल रहा है। पहले चरण में राजस्व विभाग के कर्मचारी घर-घर जाकर किसानों और उनके उत्तराधिकारियों को जमाबंदी पंजी की प्रति उपलब्ध करा रहे हैं। खोदावंदपुर अंचल क्षेत्र की आठ पंचायतों में कुल 28,479 जमाबंदियां दर्ज हैं, जिनमें से अब तक 16,534 की प्रतियां लोगों तक पहुंचाई जा चुकी हैं। यानी आधे से ज्यादा काम पूरा हो चुका है और शेष काम भी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है कि हर भूधारी की जमाबंदी ऑनलाइन पंजी से मिलाई जाए और जहां त्रुटियां हैं, उन्हें सुधारा जाए। जिन लोगों की मृत्यु हो चुकी है, उनके वारिसों को वंशावली और मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर नामांतरण का मौका दिया जा रहा है। दाखिल-खारिज, खाता-खसरा रकबा और चौहद्दी जैसे विवादों को भी इसी दौरान निपटाने का प्रयास हो रहा है।
लेकिन जमीनी स्तर पर यह अभियान उतना आसान नहीं दिख रहा। कई जगहों पर लोग जरूरी कागजात उपलब्ध न होने की वजह से परेशान हैं। जागरण के प्रतिनिधि द्वारा लिए गए जायजे में भी यह सामने आया कि कई उत्तराधिकारियों को दस्तावेज जुटाने में गंभीर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
खोदावंदपुर निवासी आलोक कुमार ने बताया कि उनकी जमाबंदी पंजी दादा के नाम पर है। परिवार में हिस्सेदार ज्यादा होने के कारण वे आपसी सहमति से नामांतरण कराना चाहते हैं, लेकिन दादा और परदादा का मृत्यु प्रमाण पत्र न होने की वजह से प्रक्रिया अटक गई है।
सरकार ने आदेश दिया है कि मृत्यु प्रमाण पत्र के अभाव में मुखिया या सरपंच द्वारा प्रमाणित वंशावली को मान्य किया जाएगा। लेकिन कई पंचायत सचिव और सरपंच इस आदेश को लेकर असमंजस में हैं। सचिवों के तबादले और नए सचिवों को जिम्मेदारी न मिलने से भी काम अटका पड़ा है।
इसी तरह मेघौल के अशोक मिश्रा का कहना है कि वे उत्तराधिकार के आधार पर नामांतरण कराना चाहते हैं, लेकिन परिवार के अन्य हिस्सेदार सहमति देने के लिए तैयार नहीं हैं। कई परिवारों के हिस्सेदार बाहर राज्यों या विदेशों में रहते हैं, जिनकी मौजूदगी इतनी जल्दी संभव नहीं है। ऐसे में दर्जनों मामले लंबित रह जाने की आशंका है।
इस पर खोदावंदपुर की सीओ प्रीति कुमारी ने बताया कि अभियान की रफ्तार तेज करने के लिए डीएम ने नए निर्देश जारी किए हैं। अब रैयतों के आवेदन पर चौकीदार और वार्ड सदस्य की अनुशंसा के बाद मुखिया अथवा सरपंच वंशावली निर्गत करेंगे। इससे लोगों की समस्याओं का समाधान होगा और अभियान को सफलता मिलेगी।