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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : इजराइल के ईरान पर हमले के बाद दोनों देश एक दूसरे पर लगातार हमले कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी ईरान को धमकी दी है कि अगर अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया तो हमारी सेना हमला करेगी। इस बीच ईरान के विदेश मंत्री ने युद्ध विराम का प्रस्ताव दिया है।

ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने हाल ही में विदेशी राजनयिकों के साथ एक बैठक में स्पष्ट किया कि ईरान की सैन्य प्रतिक्रिया पूरी तरह से वैध है। उन्होंने कहा, "हम अपना बचाव कर रहे हैं; हमारी रक्षा पूरी तरह से वैध है। अगर आक्रामकता बंद हो जाती है, तो स्वाभाविक रूप से हमारी प्रतिक्रिया भी बंद हो जाएगी।"

ईरान ने इजराइल पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं 
ईरान ने शनिवार रात (14 जून, 2025) और रविवार सुबह (15 जून, 2025) इजराइल पर दर्जनों बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से कई सैन्य और नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाकर दागी गईं। कम से कम 10 इजराइली नागरिक कथित तौर पर मारे गए। इस हमले को ईरान की सबसे बड़ी प्रत्यक्ष सैन्य प्रतिक्रिया माना जाता है।

अराघची ने इजरायल पर ईरान और कतर के बीच गैस क्षेत्र को निशाना बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने हमले को आक्रामक और खतरनाक बताया। उन्होंने कहा कि संघर्ष को फारस की खाड़ी में खींचना एक रणनीतिक गलती है। आपको बता दें कि साउथ पारस फील्ड दुनिया के सबसे बड़े गैस भंडारों में से एक है। अगर संघर्ष वहां फैलता है, तो इससे वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति खतरे में पड़ सकती है।

क्या इजरायली हमला सोची-समझी रणनीति थी? 
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने आरोप लगाया कि इजरायल का मुख्य उद्देश्य ईरान और अमेरिका के बीच चल रही परमाणु वार्ता को विफल करना है। इस रविवार को छठे दौर की वार्ता में एक प्रस्ताव पेश किया जाना था, जिसे अब रद्द कर दिया गया है। उन्होंने अमेरिका का नाम लिए बिना कहा कि इजरायली हमला बिना समर्थन के नहीं होता। अगर अमेरिका को भरोसा चाहिए तो उसे हमलों की निंदा करनी चाहिए।