
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड के दून-हरिद्वार रेल ट्रैक पर अक्सर वन्यजीवों, खास तौर पर हाथियों के दुखद हादसों की खबर आती है, जिसमें उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ती है। ये 'मर्मांतक मौतें' न केवल प्रकृति प्रेमियों को विचलित करती हैं, बल्कि पूरे पर्यावरण के लिए एक गंभीर चुनौती भी बन गई हैं। इस चिंता को दूर करने के लिए अब एक बड़ी और उम्मीद भरी खबर सामने आई है: सरकार ने इन हादसों को रोकने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी का सहारा लेने का फैसला किया है – यानी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का!
रेलवे ट्रैक बना था मौत का कारण, अब होगा सुरक्षा कवच
यह समस्या मुख्य रूप से देहरादून से हरिद्वार को जोड़ने वाले उस रेलखंड पर है जो राजाजी टाइगर रिजर्व से होकर गुजरता है। यहां मोतीचूर-हर्रावाला सेक्शन में मोतीचूर रेंज के दूधिया गांव के आसपास हाथियों और उनके झुंडों की मौजूदगी बनी रहती है। काफी समय से, इस संवेदनशील इलाके में ट्रेनों की स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटे तय की गई है ताकि हाथियों को सुरक्षित रास्ता मिल सके। बावजूद इसके, कई बार दुर्भाग्यपूर्ण हादसे हो चुके हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दस सालों में इस ट्रैक पर तेज रफ्तार ट्रेनों की चपेट में आकर कम से कम 25 हाथी अपनी जान गंवा चुके हैं।
AI सिस्टम से मिलेगा तुरंत अलर्ट, जान बचेगी
इस खतरे को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए, वन विभाग, रेलवे और भारतीय वन्यजीव संस्थान ने मिलकर एक जबरदस्त योजना बनाई है। अब इस पूरे कॉरिडोर पर AI-आधारित इंटेलिजेंट सिस्टम लगाया जाएगा। ये सिस्टम एक तरह की स्मार्ट एप्लीकेशन पर काम करेगा। जैसे ही हाथी ट्रैक के करीब आएंगे या उस पर होंगे, यह सिस्टम उन्हें तुरंत पहचान लेगा और रेलवे व वन विभाग को मोबाइल पर एक अलर्ट भेज देगा। इससे ट्रेन चालकों को समय रहते जानकारी मिल जाएगी और वे अपनी ट्रेन रोक सकेंगे या रफ्तार कम कर सकेंगे, जिससे हाथी सुरक्षित निकल पाएं।
बड़ा सपना: इंटिग्रेटेड सिस्टम और हाई-टेक सेंसर
यह केवल शुरुआत है। इस तकनीक से न केवल वन्यजीवों के हादसों को कम किया जाएगा, बल्कि इसकी क्षमता को और बेहतर बनाने के लिए लगातार काम होगा। आगे चलकर इस पूरे वन्यजीव कॉरिडोर पर एक इंटिग्रेटेड सिस्टम विकसित करने की योजना है, जिसमें सीसीटीवी कैमरे, हाई-टेक सेंसर और रडार जैसी अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। भारतीय वन्यजीव संस्थान इस पूरी प्रणाली को संचालित करेगा।
यह एक बहुत ही सकारात्मक पहल है जो पर्यावरण और वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है। यह दिखाता है कि कैसे टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल करके प्रकृति और मानव जीवन दोनों को सुरक्षित रखा जा सकता है। आशा है कि इस कदम से दून-हरिद्वार रेल ट्रैक पर अब फिर कभी कोई हाथी हादसे का शिकार नहीं होगा।