
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : एक बार फिर अयोध्या के श्रीरामजन्मभूमि परिसर में भक्ति और वैदिक परंपरा का उत्सव दिखाई देगा। पांच जून को राम मंदिर परिसर में विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की भव्य प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इस आयोजन को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में हैं।
राम मंदिर परिसर में होंगे अनेक देवी-देवताओं के प्रतिष्ठान
परकोटे में बने मंदिरों में भगवान गणेश, हनुमान जी, सूर्य देव, माता अन्नपूर्णा, माता जगदंबा और भगवान शिव की प्रतिमाओं को विधिपूर्वक प्रतिष्ठित किया जाएगा। यह प्रतिष्ठा वैदिक अनुष्ठानों के अनुसार संपन्न होगी। राम मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार की प्रतिष्ठा विशेष आकर्षण होगी।
तीन जून से प्रारंभ होगा वैदिक महोत्सव
इस धार्मिक आयोजन की शुरुआत तीन जून से पंचांग पूजन के साथ होगी। गणपति पूजन और अन्य देवी-देवताओं के पूजन के साथ पूरे अनुष्ठान की शुरुआत होगी। तत्पश्चात देवी-देवताओं की पालकी यात्रा राम मंदिर परिसर में निकाली जाएगी।
पालकी यात्रा और नगर भ्रमण की तैयारी
सभी उत्सव प्रतिमाओं को पालकी पर विराजमान कर नगर भ्रमण कराया जाएगा। यह यात्रा राम मंदिर के सिंह द्वार से आरंभ होकर पूरे परिसर में भ्रमण करेगी। यह दृश्य भक्ति और श्रद्धा का अनुपम संगम होगा।
हर प्रतिमा की प्रतिष्ठा के लिए अलग-अलग यजमान
हर देवी-देवता के लिए अलग-अलग यजमान निर्धारित किए गए हैं। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट महासचिव चंपतराय शीघ्र ही इस कार्यक्रम की रूपरेखा सार्वजनिक करेंगे। यज्ञ मंडप को भी अनुष्ठानों के अनुसार सजाया जा रहा है।
वैदिक विधि-विधान से संपन्न होंगे सभी अनुष्ठान
वैदिक आचार्य संजय शास्त्री के अनुसार सभी प्राण प्रतिष्ठा वैदिक विधियों के अनुसार ही होंगी। मूर्तियों को पूजन के बाद नगर भ्रमण कराया जाएगा और फिर अधिवास प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
राम दरबार की मूर्तियां पहुंचीं, प्रथम तल पर हुई स्थापना
राम दरबार की मूर्तियां जयपुर से रामजन्मभूमि परिसर में गुरुवार देर शाम पहुंचीं। शुक्रवार को इन्हें प्रथम तल पर स्थापित किया गया। यह कार्य लार्सन एंड टुब्रो के अभियंताओं की देखरेख में संपन्न हुआ।
शिवलिंग की स्थापना होगी प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व
उत्तर-पूर्व दिशा में बने शिव मंदिर में नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना प्राण प्रतिष्ठा से पहले की जाएगी। शेषावतार मंदिर में लक्ष्मण जी की मूर्ति की स्थापना भी जल्द ही की जाएगी।
समापन:
यह आयोजन न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए भक्ति और सांस्कृतिक आस्था का प्रतीक भी है। अयोध्या एक बार फिर रामभक्ति के रंग में रंगने को तैयार है।