
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : यमन के अबयान प्रांत के तट पर रविवार को प्रवासियों से भरी एक नाव डूब गई। नाव में 154 लोग सवार थे, जिनमें से कम से कम 68 की मौत हो गई है और 74 अभी भी लापता हैं। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, नाव पर सवार सभी प्रवासी इथियोपियाई थे, जो सऊदी अरब में रोज़गार की तलाश में यमन होते हुए निकले थे। रविवार सुबह अदन की खाड़ी में नाव पलट गई। दुर्घटना के बाद अब तक केवल 10 लोगों को बचाया जा सका है, जिनमें नौ इथियोपियाई और एक यमनी नागरिक शामिल हैं।
BREAKING: The U.N. says 68 African migrants died and dozens are missing in a shipwreck off of Yemen. https://t.co/HTmzHyRYGk
— The Associated Press (@AP) August 3, 2025
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों और अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) ने इस घटना को हाल के वर्षों की सबसे भीषण त्रासदियों में से एक बताया है। बचावकर्मी शवों और संभावित जीवित बचे लोगों की तलाश जारी रखे हुए हैं। अक्सर यह सवाल उठता है कि अफ्रीकी लोग यमन जैसे संघर्षग्रस्त देशों की यात्रा क्यों करते हैं? इसका उत्तर न केवल आर्थिक है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक भी है।
गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहे देश
इथियोपिया और सोमालिया जैसे देशों में गरीबी, बेरोजगारी और अस्थिरता लोगों को खतरनाक समुद्री यात्राएँ करने के लिए मजबूर करती है। हालाँकि यमन खुद गृहयुद्ध से जूझ रहा है, फिर भी यह प्रवासियों के लिए खाड़ी देशों तक पहुँचने का एक रास्ता बना हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन के अनुसार, 2024 में अब तक यमन से 60,000 से ज़्यादा प्रवासी यात्रा कर चुके हैं, जबकि 2023 में यह संख्या 97,200 थी। यह कमी मुख्य रूप से समुद्री मार्गों पर बढ़ी हुई सुरक्षा गश्त के कारण है।
प्रवासी सुरक्षा
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) के आँकड़े बेहद चिंताजनक हैं। 2023 में, इस मार्ग पर 558 लोगों की मौत हुई और पिछले दस वर्षों में 2,082 से ज़्यादा प्रवासी लापता हुए हैं। इन आँकड़ों में डूबने से हुई 693 पुष्ट मौतें शामिल हैं। यमन पहुँचने पर प्रवासियों को न केवल उबड़-खाबड़ समुद्र का सामना करना पड़ता है, बल्कि उन्हें हिरासत में भी लिया जाता है, दुर्व्यवहार किया जाता है और अमानवीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। आईओएम पहले ही चेतावनी दे चुका है कि यमन से होकर जाने वाला मार्ग दुनिया के सबसे खतरनाक प्रवास मार्गों में से एक है। फिर भी, जोखिमों के बावजूद, प्रवासी इस मार्ग को चुनना जारी रखते हैं।
यमन में मानवीय संकट और राजनीतिक पृष्ठभूमि
यमन 2014 से गृहयुद्ध की चपेट में है। हूथी विद्रोहियों और यमन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार के बीच युद्ध ने देश को पतन के कगार पर ला खड़ा किया है। अप्रैल 2022 में हुए युद्धविराम समझौते के बावजूद, जिससे हिंसा में कुछ कमी आई है, देश सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से अस्थिर बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, यमन में वर्तमान में लगभग 380,000 प्रवासी और शरणार्थी हैं। इनमें से कई सुरक्षा की तलाश में हैं, जबकि कुछ खाड़ी देशों तक पहुँचने के लिए यमन का इस्तेमाल कर रहे हैं।