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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अहमदाबाद विमान हादसे के बाद रेलवे सुरक्षा को लेकर अब कोई चूक नहीं करना चाहता। यही वजह है कि सासाराम जंक्शन पर बनकर तैयार हो चुकी स्वचालित सीढ़ी यानी एस्केलेटर का संचालन अब तक शुरू नहीं हो पाया है। हालांकि इसका ट्रायल हो चुका है, लेकिन तकनीकी कारणों से अभी यात्रियों को यह सुविधा नहीं मिल सकी है।

रेलवे अब उस कंपनी से एनओसी का इंतजार कर रहा है, जिसने एस्केलेटर लगाई है। जैसे ही जाॅनसन कंपनी यह प्रमाण पत्र देती है कि मशीन पूरी तरह सुरक्षित है, तभी यात्रियों के लिए इसका रास्ता खुलेगा। फिलहाल सीढ़ी के प्रवेश द्वार पर ‘अंडर सेफ्टी एंड कमिशनिंग’ का बोर्ड लगा दिया गया है, जिससे आम लोग इसका इस्तेमाल न करें।

बात करें इस योजना की शुरुआत की, तो यह एस्केलेटर करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से लगाई गई है, जिसकी आधारशिला 8 मार्च 2019 को तत्कालीन सांसद छेदी पासवान ने रखी थी। शुरुआत में योजना की अनुमानित लागत 99 लाख रुपये थी, लेकिन समय के साथ खर्च बढ़ता गया। पूर्व सांसद के लगातार प्रयासों के बाद इसका काम शुरू हुआ और अब इसे पूरे हुए लगभग छह महीने हो चुके हैं, लेकिन उपयोग की मंजूरी अभी भी बाकी है।

करीब एक महीने पहले डीडीयू डिवीजन के डीआरएम उदय सिंह मीना ने निरीक्षण के दौरान आश्वासन दिया था कि जल्द ही यह सुविधा आम यात्रियों के लिए चालू कर दी जाएगी। लेकिन सुरक्षा और तकनीकी जांच की औपचारिकताएं पूरी न होने के कारण अभी यात्रियों को थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा।

सासाराम जंक्शन का ऐतिहासिक और पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्व है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ में भी शामिल किया गया है। इस योजना के तहत स्टेशन के विकास के लिए 21 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी यहां एक भी काम पूरी तरह नहीं हो पाया है।

न तो फुटओवर ब्रिज का चौड़ीकरण हुआ है, न ही प्लेटफॉर्म नंबर एक और दो का विस्तार। स्टेशन परिसर और सर्कुलेटिंग एरिया का सौंदर्यीकरण भी अधर में लटका हुआ है। जब-जब रेलवे के बड़े अधिकारी निरीक्षण पर आते हैं, तब-तब यात्रियों को जल्द काम पूरा होने का आश्वासन मिल जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत अब तक नहीं बदली है।