
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल के आखिरी महीने में 5 और 6 दिसंबर को दो दिवसीय यात्रा के लिए भारत आने वाले हैं। रूसी कच्चे तेल के आयात को लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ और चल रहे तनाव के बीच पुतिन की यात्रा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस यात्रा के दौरान पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलेंगे, जिससे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ तनाव बढ़ने की संभावना है। पुतिन के आगमन से पहले रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के भी भारत आने की उम्मीद है, ताकि वे द्विपक्षीय मुद्दों और शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर चर्चा कर सकें। यह यात्रा व्यापार, सैन्य और तकनीकी सहयोग के साथ-साथ एससीओ और ब्रिक्स जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घनिष्ठ सहयोग को और मजबूत करेगी।
पुतिन की यात्रा और अमेरिका के साथ तनाव
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और अमेरिका रूसी कच्चे तेल के आयात पर टैरिफ विवाद में उलझे हुए हैं। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में इस यात्रा की घोषणा की। उन्होंने इस यात्रा के दौरान भारत-रूस संबंधों के द्विपक्षीय एजेंडे की गहराई को रेखांकित किया। इस एजेंडे में व्यापार, सैन्य और तकनीकी सहयोग, वित्तीय सहयोग, मानवीय मामले, स्वास्थ्य सेवा, उच्च प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) तथा ब्रिक्स जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घनिष्ठ समन्वय जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं।
भारत की व्यापार स्वायत्तता और रूस का समर्थन
रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने भारत की व्यापार स्वायत्तता पर ज़ोर देते हुए स्पष्ट किया कि रूस भारत के राष्ट्रीय हितों और इन हितों को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनाई गई विदेश नीति का पूरा सम्मान करता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत व्यापार संबंधों पर अपने फ़ैसले लेने में पूरी तरह सक्षम है और रूस उच्चतम स्तर पर भारत के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखता है।
लावरोव ने बैठक के दौरान रूसी तेल आयात पर भारत पर लगाए गए अमेरिकी टैरिफ पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच आर्थिक साझेदारी खतरे में नहीं है। उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के इस कथन का हवाला दिया कि भारत अपने साझेदार खुद चुनता है। उन्होंने आगे कहा कि अगर अमेरिका भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने का प्रस्ताव रखता है, तो भारत उस पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन जब भारत और तीसरे देशों के बीच के मुद्दों की बात आती है, तो भारत केवल संबंधित देशों के साथ चर्चा को प्राथमिकता देगा। पुतिन की यह यात्रा दोनों देशों की विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगी।