Prabhat Vaibhav,Digital Desk : चंडीगढ़ और आसपास के इलाकों में नदियों व नालों में बढ़ते प्रदूषण और दूषित पानी की समस्या अब संसद तक पहुंच गई है। लोकसभा में सांसद मनीष तिवारी ने एन चौ, सुखना चौ और पटियाला की राव में फैल रहे प्रदूषण पर गंभीर सवाल खड़े किए। इसके जवाब में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि इस विषय से जुड़ी विस्तृत रिपोर्ट सदन की टेबल पर रख दी गई है।
सांसद तिवारी ने बताया कि एन चौ, जो सेक्टर-2 से शुरू होकर लगभग 12.5 किलोमीटर तक बहती है, कई सेक्टरों से गुजरकर पंजाब के मोहाली जिले में प्रवेश करती है। इस धारा की निगरानी और गंदे पानी के प्रबंधन की जिम्मेदारी नगर निगम चंडीगढ़ के पास है।
साल 2023 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने खुद संज्ञान लेते हुए एन चौ में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर मामला दर्ज किया था। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि धारा की नियमित निगरानी अनिवार्य है और नगर निगम यह सुनिश्चित करे कि किसी भी तरह का सीवेज या गंदा पानी इसमें न छोड़ा जाए।
प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पिछले एक वर्ष में कई बार एन चौ में गंदा पानी बहता पाया गया। पिछले तीन सालों में धारा को पुनर्जीवित करने के लिए कोई विशेष योजना तैयार नहीं की गई। शहर में कुल आठ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं, जिनकी संयुक्त क्षमता 253.5 MLD है, लेकिन इनमें से केवल दो ही संयंत्र अपने आंकड़े केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण तक भेज रहे हैं। बाक़ी छह की रिपोर्टिंग शून्य है। समिति ने नगर निगम को सभी संयंत्रों को तुरंत डेटा–प्रेषण प्रणाली से जोड़ने का निर्देश दिया।
सदन में व्यवधान के कारण सांसद मनीष तिवारी सुखना चौ और पटियाला की राव की स्थिति पर अपने पूरक प्रश्न नहीं पूछ सके।
सांसद द्वारा पूछे गए मुख्य सवाल
क्या एन चौ में लगातार गंदा पानी बह रहा है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है?
क्या NGT या चंडीगढ़ प्रदूषण नियंत्रण समिति ने बढ़ते प्रदूषण पर नगर निगम को निर्देश जारी किए हैं?
क्या शहर में दीर्घकालिक सीवेज प्रबंधन और ड्रेनेज सुधार योजना लागू है?
क्या प्राकृतिक धाराओं को पुनर्जीवित करने के लिए कोई नीति बनाई गई है?
क्या बार-बार होने वाले पर्यावरण उल्लंघनों पर जिम्मेदारी तय की गई है?
निरीक्षण में सामने आए तथ्य
सेक्टर–36 के पास टूटी सीवेज पाइप से लगातार गंदे पानी का रिसाव मिल रहा था, जिसे बाद में दुरुस्त किया गया।
सड़क किनारे फेंका जाने वाला कचरा सीधे धारा में जा रहा था।
प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण ने नगर निगम को निर्देश दिए कि—
किसी भी प्रकार का सीवेज, ताजा जल या रिसाव तुरंत रोका जाए।
कूड़ा धारा में जाने से रोकने के लिए किनारों पर लोहे की जालियां लगाई जाएं।



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