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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तर प्रदेश के कानपुर में दस्तावेज़ों के फर्जीवाड़े को लेकर पुलिस ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। हाल ही में बड़े चौराहे पर पकड़े गए रोहिंग्या युवक मोहम्मद साहिल के पास से गलत तरीके से बनाए गए आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस मिलने के बाद पुलिस ने साहिल की पत्नी अजीदा और परिवार के अन्य सदस्यों के दस्तावेजों की गहन जांच आरंभ कर दी है।

कोतवाली थाना प्रभारी जगदीश पांडेय ने बताया कि साहिल का परिवार शुक्लागंज में करीब आठ वर्षों से रह रहा था। बुधवार को पुलिस ने गंगाघाट थाना पुलिस फोर्स के साथ साहिल के घर पर छापेमारी की, जिसमें परिवार के कई सदस्यों के दस्तावेज़ नहीं मिले। आशंका है कि दस्तावेज़ या तो छिपाए गए हैं या फिर बनाए ही नहीं गए हैं।

पुलिस द्वारा अब साहिल और उसके परिवार के सदस्यों के मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) निकलवाई जा रही है, ताकि पता लगाया जा सके कि उनके संपर्क में अन्य कौन से रोहिंग्या या बांग्लादेशी नागरिक हैं जो कानपुर या आसपास के इलाकों में छिपकर रह रहे हैं। पुलिस का मानना है कि CDR के विश्लेषण से कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आ सकती हैं।

खुफिया विभाग की ओर से कानपुर शहर में 16 स्थानों को चिन्हित किया गया है, जहां 700 से अधिक संदिग्ध रोहिंग्या और बांग्लादेशी परिवार अवैध रूप से रह रहे हैं। इनमें मुख्यतः बेकनगंज, झकरकटी बस अड्डा, रेलवे कॉलोनी, मायापुरम-रविदासपुरम, साकेत नगर कंजरनपुरवा, गुजैनी सी ब्लॉक, कल्याणपुर सीटीएस और कैंट स्थित गोरा कब्रिस्तान शामिल हैं।

पुलिस और खुफिया विभाग इन इलाकों में रहने वाले करीब 300 संदिग्ध परिवारों का डोजियर पहले ही तैयार कर चुका है, जबकि 700 से अधिक परिवारों की पहचान जारी है। दस्तावेजों की जांच में एआरटीओ (ARTO) कार्यालय की भी मदद ली जाएगी। पुलिस यह भी पता लगाने का प्रयास करेगी कि इन फर्जी दस्तावेज़ों को बनवाने में किस-किस की संलिप्तता है।