
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड के एक प्रमुख खेल स्थल वंदना कटारिया हाकी स्टेडियम के नाम को बदलने की योजना के विरोध में अब सामाजिक संगठनों की आवाजें तेज होती जा रही हैं। इस मुद्दे को लेकर भीम आर्मी ने कड़ा रुख अपनाते हुए साफ कहा है कि अगर सरकार ने अपना फैसला वापस नहीं लिया तो आंदोलन होगा।
दलित चेतना का प्रतीक है स्टेडियम
भीम आर्मी के प्रदेश प्रभारी दीपक सेठपुर ने प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि वंदना कटारिया सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं हैं, बल्कि वे सामाजिक जागरूकता और दलित समाज की प्रेरणा का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि स्टेडियम का नाम बदलना केवल एक नाम बदलना नहीं है, बल्कि यह सरकार की दलित विरोधी मानसिकता को उजागर करता है।
एक प्रेरणा स्थल, सिर्फ खेल मैदान नहीं
दीपक सेठपुर ने यह भी कहा कि सरकार वंदना कटारिया हाकी स्टेडियम को महज एक खेल स्थल के रूप में देख रही है, जबकि यह स्टेडियम राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। वंदना कटारिया ने जिस तरह से कठिन परिस्थितियों से निकलकर देश का नाम रोशन किया, वह खुद में एक उदाहरण है।
परिवार की भी टूटी उम्मीदें
वंदना कटारिया के भाई पंकज कटारिया ने भी सरकार के फैसले पर नाराजगी जताई और कहा कि हमें सरकार से ऐसी उम्मीद नहीं थी। यह निर्णय हमारे लिए भावनात्मक आघात जैसा है। उन्होंने आग्रह किया कि स्टेडियम का नाम वंदना कटारिया के नाम पर ही रखा जाए।
स्थानीयों का भी समर्थन
इस विरोध कार्यक्रम में सोनू लाठी, अंकुश शेरवाल, रविन्द्र पालीवाल, सूर्या राठौर, मोनू प्रधान, मोदीमल तेगवाल, अशोक कटारिया, शेखर कटारिया और राजबीर कटारिया जैसे कई स्थानीय नेता और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में स्टेडियम का नाम बरकरार रखने की मांग की।