Prabhat Vaibhav,Digital Desk : कर्ज या ऋण जैसी स्थितियाँ आर्थिक और मानसिक तनाव का कारण बनती हैं। ज्योतिष के अनुसार, इसका संबंध कुंडली के ग्रहों से भी होता है, जिसे उचित उपायों से कम किया जा सकता है।
कर्ज़ हर किसी के लिए एक गंभीर वित्तीय बोझ है, जो तनाव और मानसिक अस्थिरता को बढ़ाता है। कर्ज़ में फंसा व्यक्ति न तो भविष्य के बारे में सोच पाता है और न ही अपने वर्तमान जीवन का आनंद ले पाता है।
कर्ज़ अक्सर आर्थिक स्थिति के कारण होता है। हालाँकि, ज्योतिषी अनीष व्यास के अनुसार, कभी-कभी कर्ज़ या लोन कुछ कुंडली योगों के कारण भी हो सकते हैं, जिससे कर्ज़ बढ़ जाता है और कर्ज़ लेने की नौबत आ जाती है।
ज्योतिष शास्त्र में, कर्ज और आर्थिक तंगी को कुछ ग्रहों की स्थिति से जुड़ा माना जाता है। अगर कुंडली में कुछ ग्रह कमज़ोर हों, अशुभ प्रभाव में हों, तो व्यक्ति को बार-बार पैसे उधार लेने पड़ सकते हैं। कई बार, अनावश्यक खर्च और कर्ज का दबाव बढ़ जाता है।
कुंडली के विभिन्न भावों में छठा, आठवां और बारहवां भाव ऋण से संबंधित होते हैं। ये भाव बढ़ते कर्ज, आर्थिक समस्याओं और तनाव का संकेत देते हैं। मंगल को भी कर्ज का कारक माना जाता है और इसके अशुभ प्रभाव व्यक्ति को कर्ज के बोझ तले दबा सकते हैं या आर्थिक संकट में डाल सकते हैं। यदि कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में हो या आठवें, बारहवें या छठे भाव में हो तो कर्ज बढ़ता है।
बृहस्पति को धन और समृद्धि का ग्रह माना जाता है। बृहस्पति की अशुभ स्थिति आर्थिक नुकसान का भी कारण बनती है। परिणामस्वरूप, आय के स्रोत कम हो जाते हैं, जिससे सीमित खर्चों को पूरा करना मुश्किल हो जाता है।




