img

आर्गेनिक हार्वेस्टिंग: प्राकृतिक खेती अपनाकर रैल के मुनी लाल ने कर दिखाया कमाल

img

हमीरपुर।। रासायनिक खाद और जहरीले कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से फसलों तथा जमीन को जहरीली बनाने के बजाय प्राकृतिक खेती को अपनाकर भी अच्छी पैदावार हासिल की जा सकती है। इससे खेती की लागत भी कम होती है और हमें सुरक्षित एवं जहरमुक्त आहार मिलता है। इसलिए, आज के दौर में प्राकृतिक खेती की बहुत ज्यादा आवश्यकता महसूस की जा रही है और इस दिशा में हिमाचल प्रदेश एक बहुत बड़ी पहल करने जा रहा है।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देशानुसार हिमाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश सरकार के प्रोत्साहन से हिमाचल के कई किसान प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं । इन्हीं प्रगतिशील किसानों में से एक हैं हमीरपुर जिले के नादौन उपमंडल के गांव रैल के मुनी लाल।

कृषि विभाग की आतमा परियोजना के माध्यम से प्रशिक्षण और अन्य सुविधाएं प्राप्त करके मुन्नी लाल ने अपनी कुल 12 कनाल जमीन पर पूरी तरह प्राकृतिक खेती करते हुए एक साथ कई फसलें उगाकर कमाल कर दिखाया है।

बीएसएनएल से रिटायर होने के बाद पूरी तरह प्राकृतिक खेती को समर्पित मुनी लाल के खेतों में आजकल मक्की, गन्ना, कोदरा, रागी, हल्दी, अदरक, मूंगफली, सोयाबीन, जिम्मी कंद और अन्य फसलें लहलहा रही हैं। मुनी लाल ने बताया कि उनके उच्च शिक्षा प्राप्त दोनों बेटे एवं बहुएं बंगलूरू और गुरूग्राम में कार्यरत हैं और घर में वह अपनी पत्नी कुंतां देवी के साथ प्राकृतिक खेती में व्यस्त रहते हैं। 

मुन्नी लाल ने बताया कि आज के दौर में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होने के बावजूद लोगों में गंभीर बीमारियां बढ़ती ही जा रही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण हमारे आहार में रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के जरिये जहरीले पदार्थों का घुलना ही है। इसलिए, उन्होंने अपनी 12 कनाल जमीन पर प्राकृतिक खेती से फसलें उगाने का निश्चय किया और इसमें कृषि विभाग की आतमा परियोजना से उन्हें बहुत ज्यादा मदद मिली।

मुनी लाल ने बताया कि उन्होंने परियोजना के माध्यम से सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया। अब वह प्राकृतिक खेती के लिए घर में ही जीवामृत और अन्य सामग्री तैयार करते हैं। खेतों की बाड़बंदी, बीज, बोरवैल और अन्य सुविधाओं के लिए उन्हें आतमा परियोजना के तहत सब्सिडी भी मिली। अभी उन्होंने लगभग ढाई लाख रुपये का पॉवर टिल्लर भी खरीदा है और इस पर सब्सिडी के लिए आवेदन किया है।

मुनी लाल ने बताया कि वह पारंपरिक फसलों के साथ-साथ प्रयोग के तौर पर कई अन्य नकदी फसलें भी उगा रहे हैं और उनके ये प्रयोग काफी सफल हो रहे हैं। पिछले सीजन में उन्होंने विभिन्न फसलों के अलावा लगभग 12 क्विंटल हल्दी की पैदावार की और एक क्विंटल से अधिक शक्कर तैयार की। इस बार उन्होंने मूंगफली, दाल चीनी, स्टीविया और अन्य पौधे भी लगाए हैं।

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के प्रदेश सरकार के निर्णय की सराहना करते हुए मुन्नी लाल ने बताया कि अब उन्होंने गुजरात से उत्तम नस्ल (गिर) की गाय भी लाने जा रहे हैं, जिससे वह प्राकृतिक खेती को और नए आयाम देने का प्रयास करेंगे।

Related News