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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : वियतनाम इस समय प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। मूसलाधार बारिश के कारण आई भयानक बाढ़ और भूस्खलन ने देश के अधिकांश हिस्सों में तबाही मचाई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस आपदा में अब तक 90 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 1,86,000 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। सबसे दुखद बात यह है कि लगभग 30 लाख जानवर बाढ़ के पानी में डूब गए हैं। 'द गार्जियन' की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस आपदा से देश को 2 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। वैज्ञानिक इस आपदा के लिए जलवायु परिवर्तन को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं।

मृत्यु और विनाश के आंकड़े: डाक लाक क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित

पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, वियतनाम में अक्टूबर से भारी बारिश हो रही है। कुल 90 मौतों में से 60 मौतें अकेले डाक लाक क्षेत्र में हुई हैं, जो इस आपदा का केंद्र बन गया है। बाढ़ का पानी कम होने के साथ ही जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। हज़ारों लोग अपनी जान बचाने के लिए छतों और पहाड़ों की चोटियों पर शरण लेने को मजबूर हैं। सरकार ने युद्धस्तर पर राहत और बचाव अभियान शुरू कर दिया है।

30 लाख पशु मारे गए और आर्थिक नुकसान

इस प्राकृतिक आपदा ने वियतनाम के पशुधन और अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है। ऐसी खबरें हैं कि 30 लाख तक मूक मवेशी बाढ़ के पानी में बह गए हैं, जिससे कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगा है। वियतनाम एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल होने के कारण, बाढ़ के कारण पर्यटन क्षेत्र को भी अरबों रुपये का नुकसान हुआ है। कुल नुकसान 2 अरब डॉलर होने का अनुमान है।

1993 के बाद से सबसे भयानक स्थिति

स्थानीय लोगों के अनुसार, उन्होंने अपने जीवनकाल में ऐसी तबाही कभी नहीं देखी। इस बाढ़ की भयावहता ने लोगों को 1993 में आई आपदा की याद दिला दी है, लेकिन मौजूदा हालात और भी बदतर हैं। एक स्थानीय नागरिक ने मीडिया को बताया, "आमतौर पर पानी का स्तर टखने तक होता था, लेकिन इस बार पानी का स्तर 1 मीटर से भी ज़्यादा ऊँचा है।"

खाद्य संकट का डर

वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ गया है। मौजूदा हालात को देखते हुए, विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगर पानी जल्द ही कम नहीं हुआ और बारिश की तीव्रता कम नहीं हुई, तो वियतनाम में जल्द ही गंभीर खाद्य संकट पैदा हो सकता है। कृषि योग्य भूमि के कटाव और फसल की बर्बादी के कारण भविष्य में खाद्यान्न की कमी होने की आशंका है।