
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : दून की हवा इस समय मध्यम स्तर की है। यानी न तो हम पूरी तरह सुरक्षित जोन में हैं और न ही हवा की हालत गंभीर रूप से खराब है। हालांकि, शहर में वाहनों की ज्यादा संख्या और निर्माण कार्यों से उठती धूल-मिट्टी हमारी हवा की गुणवत्ता पर स्पष्ट असर डालती है।
दीपावली का असर:
हर साल दीपावली के समय हवा की गुणवत्ता बिगड़ जाती है। पटाखों की वजह से प्रदूषण इतना बढ़ जाता है कि हवा की स्थिति खराब या बेहद खराब हो सकती है। इसलिए नागरिकों की भागीदारी बेहद ज़रूरी है। बुजुर्ग, बच्चे और श्वास रोगियों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
शहर की भौगोलिक स्थिति:
दून एक घाटी के बीच बसा है। इसकी वजह से वायु प्रदूषण बाहर निकलने में ज्यादा समय लेता है। इस कारण दीपावली जैसे त्योहारों पर हवा की गुणवत्ता पर नजर रखना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी:
इस बार, पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रविवार से 24 घंटे थर्ड पार्टी निगरानी शुरू की है। यह निगरानी 13 अक्टूबर से दीपावली तक और 27 अक्टूबर तक जारी रहेगी।
मुख्य निगरानी स्थल:
- दून: घंटाघर और नेहरू कालोनी
- ऋषिकेश: नगर निगम कार्यालय
- टिहरी: विशेष स्थल (पहली बार दीपावली से पहले निगरानी)
इस निगरानी में देखा जाएगा कि दीपावली से पहले एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) क्या था, दीपावली के दौरान यह कितनी बढ़ी, और त्योहार के बाद हवा सामान्य स्तर पर लौटने में कितना समय लगा।
पिछली दीपावली में हवा की स्थिति (AQI अनुसार):
वर्ष | घंटाघर | नेहरू कालोनी | ऋषिकेश |
---|---|---|---|
2024 | 288 | 243 | 173 |
2023 | 333 | 349 | 196 |
2022 | 252 | 242 | 236 |
2021 | 248 | 306 | 257 |
2020 | 317 | - | 198 |
AQI के अनुसार हवा की स्थिति:
- 0–50: अच्छा
- 51–100: संतोषजनक
- 101–200: मध्यम
- 201–300: बुरी
- 301–400: बहुत बुरी
- 401 और अधिक: अति गंभीर
ध्वनि प्रदूषण की निगरानी भी होगी:
अमित पोखरियाल के अनुसार, दीपावली से पहले और बाद ध्वनि प्रदूषण के आंकड़े भी दर्ज किए जाएंगे। बेहतर पर्यावरण के लिए ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण भी उतना ही जरूरी है जितना वायु प्रदूषण पर।
नागरिक जिम्मेदारी:
अगर हम सभी संयम दिखाएँ, फटाखों का सीमित उपयोग करें और प्रदूषण पर ध्यान दें, तो दून की हवा की गुणवत्ता को नियंत्रित किया जा सकता है।