Politics Of India : मोदी सरकार के 'ऑफीशियली तौर पर देश का नाम भारत' कहने को लेकर सियासत तेज, विपक्ष ने उठाए ये सवाल

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(Bharat Vs India)

मंगलवार, 5 सितंबर से केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच भारत और इंडिया के नाम को लेकर सियासी युद्ध छिड़ा हुआ है। नाम को लेकर पूरे देश भर में बहस का दौर शुरू हो गया है। एक तरफ देश के नाम को इंडिया बताया जा रहा है तो दूसरी तरफ भारत। विपक्ष इस पर आपत्ति जता रहा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि 28 पार्टियों ने मिलकर एक गठबंधन बनाया। हमने अपने गठबंधन दल का नाम जब से इंडिया रखा है तब से मोदी सरकार परेशान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने INDIA की जगह इसे घमंडिया गठबंधन का नाम दिया। वहीं विपक्ष ने पलटवार करते हुए कहा था कि, भाजपा को INDIA नाम लेने से इतनी दिक्कत क्यों है। नाम बदलने का यह विवाद 8 सितंबर से 10 सितंबर के बीच हुआ है जब G-20 देश की बैठक के दौरान भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के गणमान्य लोगों को एक निमंत्रण पत्र भेजा। जहां इस्पात्र के अंदर प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा हुआ था जिसके बाद से ही विपक्ष नाम को लेकर सरकार की ओर राजनीतिक तीर छोड़ने लगे हैं, इस बीच विदेश मंत्रालय ने भी पीएम मोदी के इंडोनेशिया दौरे पर प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत लिख दिया जिसके बाद विपक्ष आग बबूला हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को 20वें आसियान-इंडिया सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया सम्मेलन (EAS) में भाग लेने के लिए इंडोनेशिया जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे के कार्यक्रम से जुड़ा एक कार्ड भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने सोशल मीडिया पर शेयर किया। जिसमें 'प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत' लिखा नजर आ रहा है। बता दें कि जी20 शिखर सम्मेलन खत्म होने के बाद सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक के लिए संसद का विशेष सत्र आयोजित होना है। इस सत्र का एजेंडा सरकार ने अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है जिसको लेकर विपक्षी दलों में आशंका है। कभी विपक्षी दल अनुमान लगा रहे हैं कि सरकार यूसीसी लेकर आ सकती है तो कभी वह कह रहे हैं कि सरकार संविधान में संशोधन कर इंडिया की जगह भारत कर सकती है। इस बीच केंद्रीय कैबिनेट मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, 'नाम बदलने की बात कोरी अफवाह है, संसद के विशेष सत्र में ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है। मैं भारत सरकार में मंत्री हूं और जी20 के लोगों में इंडिया और भारत दोनो लिखा हुआ है तो फिर बेवजह की अफवाह क्यों फैलाई जा रही है। ऐसी अफवाह कौन फैला रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, इंडिया, दैट इज भारत- ये संविधान में है। मैं हर किसी को इसे पढ़ने के लिए कहूंगा। जब आप भारत कहते हैं, तो आपको इसका अर्थ समझ आता है और मुझे लगता है कि यह हमारे संविधान में भी रिफ्लेक्ट होता है। बॉलीवुड अभिनेता जैकी श्रॉफ ने कहा, भारत को भारत कहा जा रहा है, इसमें बुरी बात नहीं है। नाम बदलने से हम नहीं बदल जाएंगे।


कांग्रेस ने कहा- विपक्ष के एकजुट होने पर केंद्र सरकार नाम बदलने का कर रही ड्रामा--


कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, सरकार को ब्रिटिश शासन से कोई समस्या है तो उन्हें तुरंत राष्ट्रपति भवन छोड़ देना चाहिए। आजादी से पहले यह वायसराय हाउस था। नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक को त्याग दें। सब भारत बना दो। सब खाली करा दो और जरूरत पड़े तो उसे गोले से उड़ा दो। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लिखा, देखो मोदी सरकार कितनी कंफ्यूज है! इवेंट का नाम 20वां आसियान-इंडिया सम्मेलन है, जिसमें हिस्सा लेंगे भारत के प्रधानमंत्री। यह सब ड्रामा इसलिए हो रहा है क्योंकि विपक्ष एकजुट हो गया है। बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह 'भारत' और 'इंडिया' पर की जा रही 'ओछी राजनीति' का स्वत: संज्ञान ले और देश का नाम लेकर चलने वाली सभी राजनीतिक संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए। बसपा की अध्यक्ष मायावती ने देश का नाम सिर्फ ‘भारत’ रखे जाने को लेकर छिड़े विवाद को बुधवार को भारतीय जनता पार्टी और विपक्ष की संविधान के साथ छेड़छाड़ करने की ‘सोची-समझी रणनीति और षड्यंत्र’ करार दिया। साथ ही उन्होंने उच्चतम न्यायालय से इसका स्वत: संज्ञान लेकर देश के नाम पर बने सभी संगठनों, पार्टियों और गठबंधनों पर तुरंत रोक लगाए जाने की भी मांग की। मायावती ने कहा, भारत अर्थात इंडिया का चिर परिचित और गरिमामय संवैधानिक नाम है। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के पवित्र मानवतावादी और जनकल्याणकारी संविधान से अपने देश की सभी जातियों एव धर्मों को मानने वाले लोगों का अपार प्रेम, बेहद लगाव और सम्मान है। इसे बदलकर या इसके साथ छेड़छाड़ करके उनकी भावना के साथ कोई भी खिलवाड़ करना घोर अनुचित है। कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने भी एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इंडिया को ‘भारत' कहने में कोई संवैधानिक आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि सरकार इतनी मूर्ख नहीं होगी कि ‘इंडिया' को पूरी तरह से ही त्याग दे। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इंडिया की अपनी एक अलग ही ब्रांड वैल्यू है। कांग्रेस सांसद ने दावा किया कि यह पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना थे जिन्होंने इंडिया नाम पर आपत्ति जताई थी क्योंकि इसका मतलब यह था कि हमारा देश ब्रिटिश राज का उत्तराधिकारी राष्ट्र था और पाकिस्तान एक अलग राष्ट्र था। दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'INDIA नाम के अलायंस बनने के बाद ये देश का नाम बदल रहे हैं। अगर कल इंडिया अलायंस ने मीटिंग करके अपना नाम भारत रख लिया तो क्या ये भारत का नाम भी बदल देंगे और क्या ये भारत का नाम बीजेपी रख देंगे।

 

प्राचीन काल से ही भारत को अलग-अलग नामों से जाना जाता था--


प्राचीनकाल से भारतभूमि के अलग-अलग नाम रहे हैं मसलन जम्बूद्वीप, आर्यावर्त, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया। मगर इनमें 'भारत' सबसे ज्यादा मान्य और पॉपुलर रहा है। नामकरण को लेकर कई धारणाएं और मतभेद भी भारत को लेकर ही हैं। भारत की वैविध्यपूर्ण संस्कृति की तरह अलग-अलग कालखण्डों में इसके अलग-अलग नाम मिलते हैं। भारत' नाम की जड़ें प्राचीन हैं और इसका उपयोग भारतीय उपमहाद्वीप के बारे में बताने के लिए सदियों पहले से भारतीय ग्रंथों और जनश्रुतियों में किया जाता रहा है। भारत शब्द की उत्पत्ति के बारे में कहा जाता है कि महाराज भरत के नाम पर देश का नाम भारत पड़ा है। यानी यह महाभारत जैसे हिंदू महाकाव्यों में वर्णित महान सम्राट भरत से जुड़ा है। वहीं मध्य काल की बात करें तो उस दौर में तुर्क और ईरानी लोगों ने सिंधु घाटी से भारत में प्रवेश किया था। वो स का उच्चारण ह करते थे। इस थ्योरी के मुताबिक तुर्कों ने भारत भूभाग के लोगों को हिंदू कहा और इस तरह हिंदुओं के देश को हिंदुस्तान का नाम मिला है। वहीं दूसरी थ्योरी ये है कि अंग्रेज भारत में आए उस समय देश को हिंदुस्तान कहा जाता था, बताया जाता था कि इस शब्द को बोलने में उन्हें परेशानी होती थी। इसलिए ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन (लगभग 1757-1947) के दौरान, अंग्रेज पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को भारत कहते थे। हालांकि अंग्रेज कंपनी प्रशासन ने राजकाज की भाषा में आधिकारिक कामों के लिए नाम के रूप में 'इंडिया' का उपयोग किया। 1947 में जब भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली, तो उसके सामने यह सवाल था कि नवगठित राष्ट्र के आधिकारिक नाम के रूप में कौन सा नाम अपनाया जाए। भारतीय संविधान के निर्माताओं ने इस विषय पर विचार-विमर्श किया। भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को देखते हुए, संविधान में 'भारत' और 'इंडिया' दोनों का उपयोग करने का निर्णय लिया गया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है, 'इंडिया, जो कि भारत है (India that is Bharat) , राज्यों का एक संघ होगा। इस समझौते ने दोनों नामों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को स्वीकार किया। ये कॉन्ट्रोवर्सी राजनीतिक है। चूंकि विपक्षी दलों के गठबंधन ने अपना नाम INDIA रख लिया है, इसलिए मोदी सरकार ने इस नाम का इस्तेमाल कम कर दिया है। भारत नाम पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।

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